Aircraft Safety: क्या बिजली कड़कने पर हवा में उड़ते विमान पर असर पड़ता है, जानें क्या है इसके पीछे का सच
बिजली गिरने के दौरान हवाई जहाज सुरक्षित रहते हैं. इसकी मुख्य वजह है फैराडे केज प्रिंसिपल. दरअसल विमान का बाहरी शैल अल्युमिनियम या फिर कंडक्टिव कंपोजिट मैटेरियल से बना होता है. यह शैल जब बिजली गिरती है तो उससे उत्पन्न विद्युत धारा को अंदर जाने के बजाय बाहरी सतह पर प्रवाहित होने देता है. बिजली आमतौर पर एक बिंदु से प्रवेश करती है, धड़ के ऊपर से गुजरती है और दूसरे बिंदु से, आमतौर पर पूंछ के पास से बाहर निकल जाती है.
आधुनिक विमान मॉडर्न बिजली सुरक्षा प्रणालियों से सुसज्जित होते हैं. इनमें पंख और पूंछ पर स्थित स्टैटिक विक शामिल हैं. यह घातक उड़ान के दौरान बनने वाले विद्युत आवेशों को खत्म करने में मदद करते हैं और साथ ही बिजली गिरने की संभावना को भी कम करते हैं.
वैसे तो विमान बिजली का सामना कर सकते हैं लेकिन पायलटों को जब भी संभव हो खराब मौसम से बचने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. ऑनबोर्ड मौसम रडार का इस्तेमाल करके वे गरज के साथ बारिश की कोशिकाओं की पहचान करते हैं और साथ ही उनके चारों ओर या फिर ऊपर उड़ान भरने के लिए अपने रास्ते को तय करते हैं.
यात्रियों को इसका एहसास नहीं होता लेकिन कमर्शियल विमानों पर साल में औसतन एक या दो बार बिजली गिरती है. यह इतना आम है कि विमान इंजीनियर प्रमाणन के दौरान विमान का खास तौर से बिजली के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का प्रशिक्षण भी करते हैं. बिजली गिरने से हुई आखिरी ज्ञात घातक दुर्घटना 1967 में हुई थी. इस घटना में बोइंग 707 में बिजली गिरने से इंधन वाष्प में आग लग गई थी.
यदि उड़ान के बीच में विमान पर बिजली गिरती है तो यात्रियों को सिर्फ एक तेज रोशनी दिखाई दे सकती है या फिर एक तेज धमाका सुनाई दे सकता है. कुछ यात्रियों को हल्की कंपन भी महसूस हो सकती है. हालांकि केबिन के अंदर कुछ भी खतरनाक नहीं होता और सभी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भी सामान्य रूप से ही काम करते रहते हैं.
बिजली गिरने से विमान के धड़, एंटीना या पंखों के सिरे पर झुलसने जैसे मामूली बाहरी नुकसान हो सकते हैं. लेकिन इससे विमान की संरचना पर कोई असर नहीं पड़ता. इंजीनियर प्रभावित पैनल या बत्ती का निरीक्षण करते रहते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें बदल भी देते हैं.