क्या पानी के जहाज में प्लेन वाला ही फ्यूल इस्तेमाल होता है?
शायद आपको जानकर हैरानी हो कि समुद्र में जिस फ्यूल का इस्तेमाल होता है वो डीजल जैसा फॉसिक फ्यूल होता है.
इस फ्यूल के चलते यात्रा के दौरान जहाज से कई तरह का प्रदूषण भी होता है, हालांकि वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स द्वारा इसके बेहदतर विकल्प की भी तलाश की जा रही है.
वहीं यदि किसी हवाई जहाज में फ्यूल खत्म हो जाए तो वो आकर जमीन पर धराशाई हो सकता है, लेकिन जहाजों के साथ ऐसा नहीं होता.
दरअसल जहाजों या नावों को आर्कीमिडीज के सिद्धांत को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. आसान भाषा में आर्किमिडीज का सिद्धांत कहता है कि पानी में डूबी किसी वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला कुल बल वस्तु द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होता है.
सीधे शब्दों में कहें तो हम जब पानी में लोहे की किसी भी वस्तु को डालते हैं, तो वो अपने भार के बराबर पानी को हटाती हुई नीचे तक लेकर जाती है. वहीं जहाज के अंदर जो हवा होती है, वो पानी की तुलना में बहुत कम घनत्व की होती है. यही चीज इसे पानी में डूबने से बचाती है.