पूरी तरह लाल क्यों नजर आता है मंगल ग्रह, जानते हैं आप?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर मगंल ग्रह पर आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति क्यों है. तो बता दें मंगल का वातावरण पृथ्वी के वातावरण से बहुत पतला है और इसमें मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड गैस है. इस वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है.
इसके अलावा पिछले कुछ समय में मंगल पर बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी गतिविधि हुई थी. इन ज्वालामुखियों से निकले लावा में लोहा मौजूद था. जब यह लावा हवा के संपर्क में आया तो उसमें मौजूद लोहा ऑक्सीकृत होकर आयरन ऑक्साइड में बदल गया.
साथ ही मंगल पर अक्सर बड़े धूल के तूफान आते रहते हैं. ये तूफान मंगल की सतह पर मौजूद मिट्टी को उड़ाकर पूरे ग्रह में फैला देते हैं. इस तरह मंगल की सतह पर आयरन ऑक्साइड का बिखराव हो जाता है.
मंगल का लाल रंग वैज्ञानिकों के लिए कई जरुरी जानकारी प्रदान करता है. जैसे मंगल की सतह का रंग उसके भूगर्भीय इतिहास के बारे में बताता है. इसके अलावा मंगल का वातावरण पृथ्वी के वातावरण से बहुत अलग है. मंगल के लाल रंग की रिसर्च करके वैज्ञानिक मंगल के वातावरण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर कभी जीवन रहा होगा. मंगल की सतह का रंग इस बारे में महत्वपूर्ण सुराग प्रदान कर सकता है. हाल के वर्षों में मंगल ग्रह पर कई अंतरिक्ष यान भेजे गए हैं. इन यानों ने मंगल की सतह और वातावरण के बारे में कई महत्वपूर्ण डेटा एकत्र किया है.
नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की सतह पर पानी के सबूत खोजे हैं, जिससे मंगल पर जीवन की संभावना के बारे में उत्सुकता बढ़ गई है. बता दें मंगल ग्रह का लाल रंग एक आकर्षक और रहस्यमयी घटना है. यह हमें मंगल के भूगर्भीय इतिहास, वातावरण और जीवन की संभावना के बारे में जरुरी जानकारी प्रदान करता है.