क्या आप जानते हैं केले का कोई पेड़ नहीं होता...? तो जिस पर केले उगते हैं उसे क्या बोलते हैं?
वनस्पति विज्ञान के दृष्टिकोण में केले के पेड़ को पेड़ों की श्रेणी से बाहर रखा गया है. बेशक इसके आकार को देखकर लोग इसे पेड़ कहते हैं, लेकिन केले का पेड़ असल में पेड़ नहीं होता. वनस्पति विज्ञान के मुताबिक यह मेहंदी, पुदीना, तुलसी या अन्य जड़ी बूटियों जैसा एक पौधा है.
दरअसल, पौधों को झाड़ी, पेड़ और जड़ी-बूटियों में वर्गीकृत किया गया है. इनमें से पेड़ उन्हे कहा जाता है, जिनके तनों में लिग्निन होता है. आसान भाषा में कहें तो पेड़ के तने से हम लकड़ी प्राप्त कर सकते हैं. झाड़ियों में जड़ के पास से ही कई तने निकलते हैं. इनके तने बहुत पतले होते हैं.
जड़ी-बूटी वाले पौधे बहुत नाजुक, मुलायम हैं और इनमें लकड़ी नहीं होती है. केले का पौधा नरम होता है और इसमें तना नहीं होता है. इसकी नरम छाल को आप नाखूनों से भी खुरच कर निकाल सकते हैं.
केले के पौधे में तना नहीं होता है. इसमें एक स्यूडोस्टेम होता है, जो गोलाकार में कई पत्तों से ढका होता है. इसी में फूल और फल लगते हैं.
हालांकि इसकी संचरना पेड़ों से बिल्कुल अलग है. खास बात ये है कि यह पौधा कार्बन को अपनी ओर खींच लेता है, हालांकि जड़ी बूटियों के अन्य पौधों में यह क्षमता नहीं होती.
इसके अलावा यह पौधा उम्र के साथ बढ़ता रहता है, जबकि ज्यादातर जड़ी-बूटियां एक या दो बार फल देने के बाद सूख जाती हैं. केले का पौधा सबसे बड़ी जड़ी-बूटियों में से एक है.