Diwali 2025: रॉकेट हवा में ही क्यों जाता है, बाकी पटाखे तो तुरंत फूट जाते हैं?
जब रॉकेट पटाखे को जलाया जाता है, तो सबसे पहले उसकी पूंछ में मौजूद लिफ्ट चार्ज जलता है. यह चार्ज ईंधन की तरह काम करता है और जलने पर गैसें बहुत तेजी से नीचे की दिशा में निकलती हैं.
न्यूटन के तीसरे गति नियम के अनुसार, हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है. यानी जब गैसें नीचे निकलती हैं, तो उसी के विपरीत बल रॉकेट को ऊपर की ओर धकेलता है. यही थ्रस्ट कहलाता है. यही वजह है कि रॉकेट पटाखा हवा में ऊपर उठता है.
रॉकेट का आकार भी उसकी उड़ान में अहम भूमिका निभाता है. इसका शरीर लंबा और पतला होता है ताकि हवा का प्रतिरोध कम हो और पटाखा सीधा ऊपर जाए.
इसके अलावा इसके नीचे अक्सर एक नोजल या पाइप जैसी नली होती है, जिससे गैसें एक दिशा में ही निकलती हैं और उड़ान संतुलित रहती है.
जैसे-जैसे यह ऊपर बढ़ता है, उसके अंदर लगी टाइम-डिले फ्यूज धीरे-धीरे जलती रहती है. जब यह अपने तय समय पर पूरी जल जाती है, तब अंदर मौजूद ब्रस्ट चार्ज फूटता है और रंग-बिरंगे स्टार्स चारों ओर फैल जाते हैं.
बाकी पटाखे जैसे अनार, फुलझड़ी या चकरी में कोई लिफ्ट चार्ज नहीं होता. इनमें दहन एक साथ और हर दिशा में होता है, इसलिए ये वहीं जमीन पर जलकर या फटकर खत्म हो जाते हैं.
तो आज जब आप रॉकेट को आसमान में उड़ते देखें, तो समझिए कि वह सिर्फ पटाखा नहीं, बल्कि न्यूटन के नियम, रसायन और इंजीनियरिंग का चमकता उदाहरण है, जो हर दीपावली पर विज्ञान को रंगीन रोशनी में बदल देता है.