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Diwali 2025: माचिस जलाने से फूटने तक... कैसे काम करते हैं पटाखे, जानें किन-किन चीजों से होती है इनकी मेकिंग

निधि पाल   |  20 Oct 2025 11:23 AM (IST)
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सबसे पहले माचिस की आग पटाखे के बाहर लगे फ्यूज को जलाती है. फ्यूज एक नियंत्रित जला हुआ मार्ग है जो आग को अंदर के भागों तक पहुंचाता है और यह तय करता है कि कब पटाखा फूटे.

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फ्यूज जरा-सा जलता है और अंदर के ब्रस्ट चैंबर तक आग पहुंचाते ही मुख्य क्रिया शुरू हो जाती है. कई पटाखों में एक छोटा सा लिफ्ट चार्ज होता है. इसका काम पटाखे को हवा में उछालना है.

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इसके बाद ब्रस्ट चैंबर में मौजूद सामग्री जो कि विस्फोटक नहीं बल्कि तीव्र दहन करने वाला मिश्रण होता है, एक साथ जलकर तेज गैस और चिंगारी पैदा करती है. यही गैस-दबाव खोलने वाली शेल को फोड़ता है और अंदर रखे स्टार नामक छोटे गोले चारों तरफ बिखरते हैं.

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जो रंग आप आसमान में देखते हैं, वे खास मेटल साल्ट्स की वजह से बनते हैं. स्ट्रॉन्ग हिट पर ये छोटे पेलेट्स गर्म होकर प्रकाश उत्सर्जित करते हैं. सोडियम पीला, स्ट्रोंटियम लाल, बैरियम हरा और कॉपर नीला/हरा जैसा रंग देता है.

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रंग और चमक दोनों स्टार के केमिकल कम्पोजिशन और दहन के तापमान पर निर्भर करते हैं. पियोनी, क्राइसेंथेमम, फौलादी टेल, झुंड-स्पार्कलर आदि अलग-अलग प्रभाव शेल के अंदर स्टार्स के आकार, उनकी व्यवस्था और ब्रस्ट चार्ज के प्रकार से बनते हैं.

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पटाखों का इस्तेमाल करते समय दूरी, आंखों की सुरक्षा और केवल अधिकृत, मान्यता प्राप्त ब्रांड ही चुनना बहुत जरूरी है. घर में बदले हुए या कच्चे तरीके से बने पटाखे का इस्तेमाल या निर्माण खतरनाक और अवैध हो सकता है.

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इससे आग, गंभीर चोट और कानूनी समस्याएं हो सकती हैं. बड़े-बड़े शो में पेशेवरों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन सार्वजनिक सुरक्षा मानकों के अनुसार नियंत्रित होते हैं, उनमें भाग लेना दर्शकों के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प है.

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