क्या रेलगाड़ी के पुल से गुजरने पर उसके नीचे खड़े व्यक्ति पर पॉटी गिर सकती है? जवाब है 'नहीं', कारण पढ़िए
असल में यह समस्या पहले हुआ करती थी. जब ट्रेन किसी पुल से गुजर रही होती थी और उसी समय कोई टॉयलेट में जाकर अगर पॉटी कर देता था तो वो ट्रेन से निकलकर नीचे गिर जाती थी.
आपने शायद देखा भी होगा कि पहले जब स्टेशन पर कोई ट्रेन आकर रुकती थी तो उसके जाने के बाद ट्रैक पर मानव मल दिखता था. जिसकी वजह से प्लेटफॉर्म पर खड़े रहना भी बड़ा मुश्किल हो जाता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले भारतीय रेलवे के ट्रैक्स पर प्रतिदिन 2,74,000 लीटर ह्यूमन वेस्ट गिरने से गंदगी तो फैलती ही थी, साथ ही रेलवे ट्रैक्स के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचता था. जिसके कारण रेलवे को प्रतिवर्ष 400 करोड़ की हानि पहुंचती थी. लेकिन, अब ऐसा नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे ने 73,078 यात्री ट्रेन डिब्बों में 2,58,906 बायो टॉयलेट लगाकर स्वच्छ भारत मिशन में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस पहल से अब पटरियों पर गंदगी दिखना बंद हो चुकी है. यात्री ट्रेनों के कोच में बायोटॉयलेट लगाने के पीछे की मुख्य वजह ह्यूमन वेस्ट की गंदगी को रेलवे ट्रैक पर गिरने से रोकना था.
ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने का काम खोज रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय रेलवे ने मिलकर किया है. इस टॉयलेट में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर लगा होता है. इस कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं. ये बैक्टीरिया मल को पानी और गैसों में बदल देते हैं.
इसमें मल के सड़ने पर केवल मीथेन गैस और पानी ही शेष बचता है. जिसके बाद पानी को दोबार री-साइकिल करके शौचालयों में पहुंचा दिया जाता है और इससे बनने वाली गैसों को वातावरण में छोड़ दिया जाता है. दूषित जल को क्लोरिनेशन के बाद पटरियों पर गिरा दिया जाता है. इसका अर्थ यह हुआ कि बायो टॉयलेट प्रणाली आने के बाद से पटरियों पर मल गिरना बंद हो गया है. यानी आप निश्चिंत होकर पुल के नीचे से गुजर सकते हैं.