2027 Census India: अगर जनगणना के दौरान जानकारी देने से मना कर दे कोई नागरिक, क्या इस पर भी होती है सजा?
जनगणना अधिनियम 1948 के तहत भारत के हर नागरिक को जनगणना अधिकारी द्वारा पूछे जाने पर जानकारी देना कानूनी रूप से जरूरी है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय जनगणना में हिस्सा लेना अनिवार्य है.
अगर कोई भी नागरिक जानबूझकर जनगणना के सवालों का जवाब देने से मना करता है तो उसे जनगणना अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा. कानून अधिकारियों को ऐसे इनकार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है.
जानकारी देने से मना करने पर नागरिक को ₹1000 तक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा. हालांकि यह राशि काफी मामूली लग सकती है लेकिन कानून का मकसद राजस्व कमाना नहीं बल्कि रोकना है.
ज्यादा गंभीर मामलों में जैसे की जनगणना के काम में रुकावट डालना, अधिकारियों को धमकी देना या फिर चेतावनी के बावजूद बार-बार मना करने पर कानून 3 साल तक की जेल की अनुमति देता है. हालांकि इस प्रावधान का इस्तेमाल शायद ही कभी किया जाता है.
अगर कोई भी व्यक्ति किसी जनगणना अधिकारी को प्रवेश से रोकता है तो वह कार्य अपने आप में दंडनीय है. जनगणना अधिकारी को कानूनी रूप से जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार है.
जनगणना अधिनियम सिर्फ नागरिकों पर जिम्मेदारी नहीं डालता. अगर कोई जनगणना अधिकारी ड्यूटी करने से मना करता है, या फिर डेटा में हेर फेर करता है तो उसे भी सजा हो सकती है. इसमें 3 साल तक की जेल शामिल है.