प्रॉस्टिट्यूशन को लेकर गौहर खान ने कहा, 'इसे लीगल बनाने के बजाए इसका हल निकालें'
सृजित मुखर्जी के डायरेक्शन में बनी 'बेगम जान' में गौहर ने रुबीना नाम की एक सेक्स वर्कर का किरदार निभाया है. इसमें कोठे की मालकिन के किरदार में विद्या बालन नजर आ रही हैं.
अपने विचार को बयान करते हुए गौहर कहती हैं, ऐसा नहीं है कि आपने मुंबई, दिल्ली या बाकी शहरों में सेक्स वर्कर्स को नहीं देखा होगा. वहां वे मौजूद हैं. हर आम इन्सान जानता है कि वे मौजूद हैं, इसलिए इस समस्या से अनजान बनकर कैसे रहा जा सकता है?
गौहर कहती हैं कि 'बेगम जान' जैसी फिल्म पेशा चुनने की आजादी की बात करती है, जिसे लोग रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर महसूस कर सकते हैं.
गौहर की सभी तस्वीरें फेसबुक से ली गई हैं,
भारत में प्रॉस्टिट्यूशन को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए या नहीं, इस पर यूं तो लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन फिल्म 'बेगम जान' में एक सेक्स वर्कर का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस गौहर खान मानती हैं कि इस पेशे को लीगल नहीं बनाया जाए, बल्कि इस मुद्दे का हल निकाला जाना चाहिए. यह फिल्म सेक्स वर्कर्स के जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव को बयां करती है.
क्या भारत में प्रॉस्टिट्यूशन को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए, इस सवाल पर गौहर ने कहा, मैं यह फैसला लेनी वाले कौन होती हूं? मुझे लगता है कि इस पर सबका अपना-अपना विचार है. इसकी समाज में बहुत मजबूत पैठ है, इसलिए अपनी आंखें बंद कर लेने और यह कहने से कि इसका कोई वजूद नहीं है, यह स्थिति से निपटने में मददगार नहीं होगा. इसे लीगल न करें, लेकिन कम से कम इस मुद्दे को सुलझाएं. इसके बारे में जानें और समाज को भी बताएं.
उन्होंने कहा, इनके और इनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक सिस्टम होनी चाहिए. मैं इसका प्रोत्साहन करने वाली नहीं हूं. मैं इसे सही नहीं ठहरा रही, बल्कि यह कह रही हूं कि इस पेशे का वजूद है और इससे निपटा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'बेगम जान' की कहानी जिस से जोड़ी गई है, वह किसी के भी जीवन से जुड़ा हो सकता है. हर किसी के जीवन में वह पल आता है, जब उसे चुनना या फैसला लेना पड़ता है.