In Pics: देश की पहली महिला कुली मंजू देवी की जिंदगी के ये हैं अनछुए पहलू
लाइसेंस मिलने के बाद मंजू को सबसे बड़ी मुश्किल यूनिफार्म बनाने में आई. धीरे धीरे मंजू ने इस समस्या का हल निकाल लिया. उन्होंने खुद ही अपनी यूनिफार्म सिल ली. मुश्किलों से लड़ने की यह मिसाल की चर्चा आज पूरे देश में हो रही है. (तस्वीर-पीटीआई)
हालांकि रेलवे स्टशन पर एक भी महिला कुली ना होने के कारण बिल्ला मिलने में थोड़ी मुश्किल तो हुई लेकिन मंजू की जिद के आगे किसी की एक ना चली और आखिर में मंजू ने बिल्ला हासिल कर लिया. हाल ही में मंजू ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि बच्चों को खिलाने का बोझ उठाने के सामने यात्रियों के सामान का बोझ कुछ भी नहीं है. (तस्वीर-पीटीआई)
पति के गुजर जाने के बाद मंजू को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पहले पति का गम और फिर पारिवारिक झगड़ों ने मंजू को मानसिक तौर पर परेशान कर दिया. इस विकट स्थिति में मंजू की मां ने उसे हौसला दिया जिसके बाद मंजू ने पति के लाइसेंस नंबर पर रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने का फैसला किया. (तस्वीर-पीटीआई)
मंजू देश की पहली ऐसी महिला हैं जो रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती हैं. मंजू के तीन बच्चे हैं और वो कमाने वाली घर की अकेली सदस्य हैं. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस मुश्किल से मंजू अपने परिवार का गुजर बसर करती होंगी. (तस्वीर-पीटीआई)
राजस्थान के जयपुर रेलवे स्टेशन पर मंजू देवी अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए कुछ ऐसा कर रही हैं जिसे जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल मंजू जयपुर के रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती हैं. बता दें कि 10 साल पहले मंजू के पति ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. जिसके बाद से मंजू ने अपनी जिंदगी को रुकने नहीं दिया. उनके इसी जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. (तस्वीर-पीटीआई)
बहादुरी और हिम्मत की मिसाल पेश करने वाली कहानी समय-समय पर देश के अलग-अलग कोने से सामने आती रहती है जो इस बात को साबित करती है कि हौसले बुलंद हों तो ऊंची उड़ानें आसानी से भरी जा सकती हैं. कुछ इसी तरह की कहानी इस बार जयपुर से सामने आई है. (तस्वीर-पीटीआई)