क्रिकेट वर्ल्ड कप होस्ट करने के दौरान कैसा था मंदिरा बेदी का एक्सपीरियंस? बोलीं- 'हर दिन रोती थी, सवाल इग्नोर किए जाते थे'
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक इंटरव्यू में मंदिरा ने कहा- 'ये आसान नहीं था, क्योंकि उनके पास पैनल पर कभी कोई महिला नहीं बैठी थी. तो बाएं और दाएं बैठे लीजेंड पैनल में एक महिला के होने को लेकर खास एक्साइटेड नहीं थे.'
मंदिरा ने कहा- 'मैं एक सवाल पूछती, मेरे कुछ सवाल सच में बेवकूफी वाले, इर-रेलिवेंट थे. लेकिन मेरा कहना ये था कि आप वही सवाल पूछें जो आपके मन में आते हैं. आपके मन में जो कुछ भी है, वो टेबल से बाहर नहीं है, आगे बढ़ें और पूछें.'
मंदिरा आगे कहती हैं- 'अगर मेरे मन में वो सवाल हैं, तो घर पर भी किसी के मन में ऐसे ही सवाल होंगे. मुझे प्योरिटी को लीड नहीं करना है, मुझे आम लोगों को रिप्रेजेंट करना है.'
एक्ट्रेस आगे बताती हैं कि जब वो सवाल करती थीं, तो क्रिकेट एक्सपर्ट्स सिर्फ उनके चेहरे को देखते थे और कैमरे की तरफ देखर अपनी मर्जी से कुछ भी बोलने लगते थे.
मंदिरा ने कहा- 'मैं अपना सिर नीचे कर लेती थी और रोती थी और मेरे बाएं और दाएं बैठे लोग कहते थे मैं बस जाकर कॉफी ले आती हूं. क्या आप कॉफी लेंगी. मैं बहुत दुखी थी और पहले एक हफ्ते तक किसी ने मुझसे कुछ नहीं कहा.'
एक्ट्रेस आगे बताती हैं वो उस समय हकला रही थीं, लड़खड़ा रही थीं और घबरा गई थीं. उन्हें कहीं से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था.
मंदिरा ने आगे बताया कि एक हफ्ते बाद उन्हें चैनल ने बुलाया और कहा कि वे बोरिंग पैनल में कुछ इंटेरेस्टिंग लेकर आए. इसके बाद मंदिरा का कॉन्फिडेंस बढ़ गया और वे इस बात पर जोर देने लगीं कि उनके सवालों का जवाब कैमरे पर दिया जाए.