Womens Day 2023: इंटरनेशनल वुमेन डे पर जरूर देखें बॉलीवुड की ये फिल्में, परेशानियों से जूझती महिलाओं की कहानी कर देगी हैरान
मदर इंडिया- 1957 में आई फिल्म मदर इंडिया में नरगिस ने ऐसी महिला का किरदार निभाया था जो गरीबी से जूझते हुए अपने बच्चों को पालती है. इस आइकॉनिक फिल्म में गरीबी के साथ साहूकार के अत्याचार को भी दिखाया गया था. फिल्म काफी हिट रही थी और उस समय इसने बॉक्स ऑफिस पर 8 करोड़ रुपयों से ज्यादा कमाई की थी. (इमेज क्रेडिट- IMDb)
लज्जा-इस फिल्म ने समाज को एक आइना दिखाया था. फिल्म में दिखाया गया था कि एक तरफ नारी को देवी समझकर पूछा जाता है दूसरी तरफ बेटी को गर्भ में ही मार दिया जाता है. महिलाओं के साथ रेप होता है उन्हें घर में दबाकर रखा जाता है यहां तक कि दहेज के लिए जिंदा जला दिया जाता है. लेकिन यही महिलाएं अगर मां दुर्गा का रूप धारण कर लें तो जुल्म ढाने वालों का सर्वनाश भी कर सकती हैं. फिल्म में मनीषा कोईराला, माधुरी दीक्षित और रेखा ने अहम रोल प्ले किया था.
पिंक- 2016 में आई ये फिल्म अनिरुद्ध चौधरी ने डायरेक्ट की थी. इस फिल्म के जरिये ये मैसेज दिया गया था कि अगर एक लड़की ‘ना’ कहती है तो उसका मतलब ना ही समझे. फिल्म में ये दिखाया गया था कि समाज खुद को कितना भी मॉर्डन क्यों ना मान ले लेकिन लड़कियों को आज भी उनके कपड़ों और हंसने बोलने के तरीकों से ही जज किया जाता है और उनके कैरेक्टर को भी सवालों के कटघरे में खड़ा किया जाता है. फिल्म में तापसी ने अहम रोल प्ले किया था.
इंग्लिश-विंग्लिश- गौरी शिंदे के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी में अहम रोल प्ले किया था. इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे एक महिला को अंग्रेजी ना आने पर अपने ही घर में हीन भावना का शिकार होना पड़ता है. बच्चे उसे अपने स्कूल ले जाना पसंद नहीं करते हैं पति उसकी कमजोरी का मजाक बनाता है. हालांकि फिल्म में ये दिखाया गया है कि श्रीदेवी बाद में इंग्लिश सीखती हैं और परिवार को अपनी वैल्यू भी समझाती हैं.
थप्पड़- तापसी पन्नू स्टारर फिल्म थप्पड़ भी ऐसी कहानी है जिसे शायद समाज के लिए गले से नीचे उतारना मुश्किल है. फिल्म घरेलू हिंदा के मुद्दे को उठाती है फिर पति ने एक थप्पड़ ही क्यों ना मारा हो इसे बस इतनी सी बात कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
छपाक- दीपिका पादुकोण स्टारर छपाक भी एक हार्ड हिटिंग स्टोरी है ये फिल्म रियल लाइफ एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवार की कहानी पर बेस्ड है. ये फिल्म उन सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए इंस्पीरेशन हैं जिन्हें एसिड अटैक जैसे दर्द को सहना पड़ा है.