अखिलेश ने पीछे खींच लिए थे कदम, BSP-कांग्रेस ने नहीं दिखाया दम... जानें यूपी MLC उपचुनाव में कैसे जीती BJP
उत्तर प्रदेश विधानसभा के विशेष सचिव और निर्वाचन अधिकारी मोहम्मद मुशाहिद ने नोटिफिकेश जारी करते हुए मौर्य के निर्वाचन की घोषणा की. उन्होंने बताया कि नामांकन वापसी की अवधि खत्म होने के बाद बहोरन लाल मौर्य को निर्वाचन का प्रमाण पत्र दे दिया गया.
मौर्य ने मंगलवार (02 जुलाई) को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था. विपक्षी दलों की ओर से उनके खिलाफ कोई नामांकन न होने के कारण उनको निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.
दरअसल, अखिलेश यादव की सपा, मायावती की बीएसपी और कांग्रेस जैसी विरोधी पार्टियों के पास जीतने लायक पर्याप्त संख्याबल नहीं था. इसलिए किसी ने भी उम्मीदवार नहीं उतारा था.
यह सीट समाजवादी पार्टी के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य के इस साल 20 फरवरी को इस्तीफा देने के कारण खाली हुई थी. उनका कार्यकाल जुलाई 2028 में समाप्त होना था.
इस सीट के उपचुनाव के लिए अधिसूचना 25 जून को जारी हुई थी, जबकि नामांकन की आखिरी तारीख दो जुलाई थी. तीन जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच के बाद पांच जुलाई तक नाम वापस लेने की तारीख तय की गई थी और मतदान 12 जुलाई को होना था लेकिन विरोधियों नामांकन न करने की वजह से बहोरन लाल मौर्य निर्विरोध एमएलसी चुन लिए गए.
अब विधान परिषद में बीजेपी के 79 सदस्य हो गए हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के कुल 10 सदस्य हैं. इसके अलावा अपना दल (सोनेलाला), शिक्षक दल (गैर राजनीतिक), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और सुभासपा के एक-एक सदस्य हैं.
फिलहाल विधान परिषद में एक सीट अभी भी खाली है. ये सीट जितिन प्रसाद के सांसद बनने के बाद खाली हुई है. हालांकि ये सीट मनोनीत कोटे से है जिस पर चुनाव कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उनका कार्यकाल 2027 तक के लिए था.