Protem Speaker पद संविधान में कहीं नहीं: जानें, क्या होता है काम और सरकार कैसे करती है चुनाव
किरेन रिजिजू के मुताबिक, राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत लोकसभा के सदस्यों सुरेश कोडिकुन्निल, टीआर. बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को प्रोटेम स्पीकर के सहायक के तौर पर नियुक्त किया है, जिससे वह 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ ग्रहण को संपन्न करा सकें.
प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब कुछ समय के लिए होता है. प्रोटेम स्पीकर को कार्यवाहक स्पीकर भी कहा जाता है.
लोकसभा/विधानसभा के स्थाई स्पीकर नव निर्वाचित सदन की पहली बैठक से पहले पद को खाली कर देते हैं. राष्ट्रपति/राज्यपाल इसके बाद प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं. इनकी नियुक्ति आम तौर पर तब तक के लिए होती है, जब तक लोकसभा या विधानसभा स्थाई अध्यक्ष नहीं चुन लेती है.
प्रोटेम स्पीकर पद का जिक्र संविधान में कहीं भी नहीं है. हालांकि, संसदीय कार्य मंत्रालय की एक हैंडबुक में प्रोटेम स्पीकर के बारे में कुछ बातें बताई गई हैं.
सदन के सबसे वरिष्ठ (लोकसभा या विधानसभा में जिसका सबसे लंबा टर्म रहता है, उसे) को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. यह पद अस्थाई होता है और कुछ समय के लिए अस्तित्व में आता है.
प्रोटेम स्पीकर नए सदस्यों को शपथ दिलाते हैं, फ्लोर टेस्ट कराते हैं, वोट का निर्णय करते हैं और स्थाई अध्यक्ष चुने जाने तक सदन की गतिविधियों को चलाते हैं.
कौन हैं भर्तृहरि महताब?: भर्तृहरि महताब ओडिशा के कटक से छह बार लोकसभा सांसद रहे हैं. आम चुनाव 2024 उन्होंने (बीजेपी की ओर से) ने बीजू जनता दल (बीजद) के संत्रुप्त मिश्रा को 57,077 वोटों से मात दी.