महाराष्ट्र में महायुति की बंपर जीत भी बनी मुसीबत! मंत्री पद मिला भी तो ढ़ाई साल के लिए, कई नेता नाराज
गठबंधन के सहयोगियों- बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के बीच विभागों का बंटवारा पिछली सरकार के आवंटन फॉर्मूले के आधार पर कुछ बदलावों के साथ किया जाएगा. साथ ही ये भी कहा गया कि मंत्रियों के कामकाज को देखा जाएगा और ढाई साल पर समीक्षा की जाएगी.
ये बयान उन विधायकों की नाराजगी के बीच संतुलन बनाने के लिए बताया जा रहा, जिन्हें मंत्री पद नहीं मिला. महायुति के 237 विधायक हैं और सिर्फ 42 कैबिनेट पद हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सुधीर मुनगंटीवार, विजय कुमार गावित और छगन भुजबल जैसे नेता खुद को हाशिए पर देख रहे हैं.
छगन भुजबल ने तो ये भी कह दिया कि वो पुराने जमाने के सिक्के हैं, फेंकने की भूल न करें. इसके साथ ही उनका एक बयान और वायरल हो रहा है जिसमें वो कह रहे हैं कि मेरे बारे में कोई राय मत बनाना गालिब, मेरा वक्त आएगा.
उन्होंने नासिक में कहा कि मैं मौसम नहीं हूं, जो पल में बदल जाऊंगा और मैं इस जमीन से कहीं और निकल जाऊंगा.
उनकी इस बयानबाजी के बाद उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं. उनके कुछ समर्थकों ने तो सार्वजनिक रूप से कह दिया कि छगन भुजबल को बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए.
छगन भुजबल ओबीसी वर्ग के बड़े नेता हैं और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उनके संबंध भी मधुर हैं. बीजेपी के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि अगर वो भगवा पार्टी में शामिल होते हैं तो पार्टी को बहुत फायदा होगा और ओबीसी वर्ग में बीजेपी की पकड़ मजबूत होगी.
इन सब के बीच महाराष्ट्र में 6 विधायकों पर एक मंत्री बनाया गया है. मंत्रिमंडल में वेकेंसी इतनी कम है कि बीजेपी ने 6.5 विधायक पर एक, एनसीपी ने 4 विधायकों पर एक और शिवसेना ने पांच विधायकों पर एक मंत्री बना है. बीजेपी ने कम मंत्रियों के साथ संतोष किया है.