महाराष्ट्र चुनाव में बना ऐसा रिकॉर्ड, चुनाव आयोग की हो गई बल्ले-बल्ले! BJP ने यहां भी किया 'खेल'
साल 2014 के चुनाव के समय 4,119 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और 3,422 ने अपनी जमानत खो दी, जिसमें 3.4 करोड़ रुपये जमा हुए थे. वहीं साल 2019 में 3,237 उम्मीदवारों में से 80.5 फीसदी ने अपनी जमानत जब्त कर ली, जिसकी कीमत 2.6 करोड़ रुपये थी.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, अगर कोई उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वोटों का कम से कम छठा हिस्सा हासिल करने में विफल रहता है तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है.
हर प्रत्याशी को 10,000 रुपये की जमानत राशि देनी होती है, जबकि एससी और एसटी उम्मीदवारों को 5,000 रुपये का भुगतान करना होता है. महाराष्ट्र के दो बड़े गठबंधनों में से सबसे ज्यादा- 22 एमवीए के उम्मीदवारों को जमानत का नुकसान हुआ है.
अकेले कांग्रेस के उम्मीदवारों ने नौ सीटों पर जमानत खो दी, उसके बाद शिवसेना (यूबीटी) ने आठ और एनसीपी (एसपी) ने तीन सीटों पर. एमवीए के घटक किसान और मजदूर पार्टी ने दो सीटों पर जमानत जब्त करवाई.
सबसे ज्यादा जमानत जब्त नासिक जिले के उम्मीदवारों की हुई. यहां शिवसेना (यूबीटी) की दो सीटें, कांग्रेस की तीन और एनसीपी (एसपी) की एक सीट पर कैंडिडेट्स ने जमानत जब्त करवाई है.
छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो मुंबई उपनगरीय में 261 और पुणे में 260 उम्मीदवारों ने जमानत जब्त करवाई है.
सबसे बड़ी बात ये है कि पूरे राज्य में किसी भी भाजपा उम्मीदवार की जमानत जब्त नहीं हुई है. हालांकि, विदर्भ के दरियापुर (अमरावती जिला) में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के एक उम्मीदवार की जमानत जब्त हुई और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने पूरे महाराष्ट्र में पांच सीटों पर जमानत जब्त हुई.
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र में एक अनोखी स्थिति बनी. यहां पर एनसीपी के दोनों गुटों की जमानत जब्त हो गई. यहां पर भाजपा उम्मीदवार को 99 हजार से ज्यादा वोट मिले तो अजित पवार की एनसीपी को 34 से ज्यादा तो शरद पवार की एनसीपी को 31.843 वोट मिले, जो बेहद कम थे.