मुंबई की इन 25 सीटों पर किसने किया बीजेपी-शिंदे गुट की नाक में दम? लग सकता है बड़ा झटका
सियासी जानकारों का मानना है कि राज ठाकरे बीएमसी चुनाव से पहले मनसे (MNS) के लिए सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश में हैं. 2009 में 13 विधायकों वाली पार्टी अब महज 1 विधायक पर आ चुकी है.
इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में MNS के चीफ राज ठाकरे ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बिना शर्त समर्थन दिया था. वहीं, मनसे के इस कदम से वोटों के बंटवारे की संभावना बन गई है.
एक सीट पर अजित पवार के प्रत्याशी के खिलाफ भी मनसे ताल ठोक रही है. महायुति ने सेवरी सीट पर राज ठाकरे की पार्टी के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. सेवरी विधानसभा सीट से बाला नंदगांवकर मनसे के प्रत्याशी हैं.
मनसे ने मुंबादेवी से शिंदे गुट का शाइना एनसी और अंधेरी ईस्ट से मुर्जी पटेल के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारे हैं. ये दोनों नेता ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो गए थे.
माहिम और वर्ली की विधानसभा सीटों पर शिंदे गुट, उद्धव ठाकरे गुट और मनसे के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है. माहिम सीट पर राज ठाकरे की पार्टी ने अपने भतीजे आदित्य ठाकरे के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है. वहीं, वर्ली सीट पर शिंदे गुट के मिलिंद देवड़ा के खिलाफ उम्मीदवार उतार कर सियासी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.
राज ठाकरे की सियासी जमीन मराठी मानुष, मुंबईकरों की नौकरियों और कट्टर हिंदूवादी पर टिकी हुई है. अगर ये वोटों में तब्दील होती है तो इससे सीधा नुकसान बीजेपी और शिंदे गुट को होगा. जो मुंबई की ज्यादातर सीटों पर काबिज है.
दरअसल, मनसे और बीजेपी-शिंदे गुट भी हिंदुत्ववादी और मराठी मानुष वाली विचारधारा का समर्थक है. इस स्थिति में अगर मनसे की मौजूदगी से वोटों में बंटवारा होता है तो बीजेपी-शिंदे गुट के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.