H-1B वीजा में फीस बढ़ने के बाद भारतीय वर्कर्स के लिए ये बेहतरीन ऑप्शंस, जानें डिटेल्स
अमेरिका में H-1B वीजा के लिए नई फीस का ऐलान हो चुका है. अब इस वीजा के लिए कंपनियों को एक लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) फीस चुकानी होगी.
इस फैसले के बाद अमेरिका में काम करने के लिए विदेशी वर्कर्स को हायर करना कंपनियों के लिए महंगा हो जाएगा. ऐसे में भारतीय युवाओं के मन में सवाल उठ रहा है कि अगर अमेरिका जॉब का विकल्प महंगा हो गया है, तो वे किस देश में स्किल जॉब के लिए जा सकते हैं.
अमेरिका की जगह अब कई ऐसे देश हैं, जहां स्किल्ड वर्कर्स को आसानी से वर्क वीजा मिलता है और बेहतर वेतन व सुविधाएं भी हैं. आइए जानते हैं 3 ऐसे देशों के बारे में जहां भारतीय स्किल्ड वर्कर्स काम कर सकते हैं.
एशिया में काम करने के लिए सिंगापुर सबसे बढ़िया विकल्प है. यहां स्किल्ड वर्कर्स को एंप्लॉयमेंट पास (EP) मिलता है. बैंकिंग, आईटी, मार्केटिंग और तकनीकी क्षेत्रों में सिंगापुर में जॉब के अच्छे अवसर हैं. इसके अलावा यहां वेतन भी आकर्षक है और जीवन स्तर भी बहुत अच्छा है. वीजा प्रक्रिया सरल होने की वजह से यहां काम करना भारतीयों के लिए आसान और सुविधाजनक है.
इसके अलावा कनाडा अमेरिका का पड़ोसी देश होने के साथ-साथ स्किल्ड वर्कर्स के लिए बेहतरीन विकल्प है. यहां फेडरल स्किल वर्कर प्रोग्राम (FSWP) के तहत विदेशी वर्कर्स को आसानी से वर्क वीजा मिल जाता है.
आईटी, इंजीनियरिंग और तकनीकी सेक्टर्स में कनाडा काफी अच्छा विकल्प है. कनाडा में काम करने वाले वर्कर्स को आसानी से परमानेंट रेजिडेंसी (PR) भी मिल जाती है.
जर्मनी को यूरोप का आर्थिक इंजन कहा जाता है. मैन्यूफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग सेक्टर में जर्मनी में स्किल्ड वर्कर्स की काफी मांग है. यहां जॉब सीकर वीजा मिलता है, जिससे छह महीने तक देश में रहकर जॉब ढूंढने का मौका मिलता है. जॉब मिलने के बाद इसे वर्क वीजा में बदला जा सकता है. इसके अलावा EU ब्लू कार्ड प्रोग्राम के तहत भी विदेशी वर्कर्स जर्मनी में आसानी से काम कर सकते हैं.