Famous Temples of Bhubaneshwar : 'मंदिरों का शहर' भुवनेश्वर में हैं कई प्रसिद्ध मंदिर, जहां जाने पर मिलेगा मन को सुकून
Famous Temples of Bhubaneshwar : ओडिशा के खूबसूरत शहर भुवनेश्वर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. क्योंकि यहां पर कई प्राचीन मंदिर जिनमें दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी पर्यट आते हैं. ये ऐतिहासिक शहर का नाम संस्कृत नाम त्रिभुवनेश्वर से लिया गया है जिसका संबध तीन लोकों के भगवान, भगवान शिव से है औऱ यही वजह है कि इश शहर के लोग सबसे ज्यादा भगवान शिव में आस्था रखते हैं. अगर आप भी भुवनेश्वर की ट्रिप पर जा रहे हैं तो पहले इस रिपोर्ट पर एक नजर डाल लें.......
परशुरामेश्वर मंदिर - 650 ई. में निर्मित ये मंदिर उड़िया शैली की स्थापत्य कला का अनूठा नमूना है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं और 8वीं शताब्दी के बीच शैलोद्भव काल में किया गया है. मंदिर की खासियत ये है कि इसके उत्तर-पश्चिम कोने में एक हजार लिंगों की उपस्थिति है. मंदिर में भगवान गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति हैं.
राजरानी मंदिर – इसे 'प्रेम मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि मंदिर में जोड़ों की कुछ कामुक नक्काशी की गई है.इसका निर्माण उस वक्त किया गया था जब पुरी में जगन्नाथ मंदिर बना था. यहां की मूर्तियां भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह को दर्शाती हैं.
राम मंदिर – ये खूबसूरत मंदिर भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण को समर्पित है. इसके साथ ही यहां पर भगवान हनुमान, भगवान शिव और अन्य कई देवताओं के मंदिर भी बने हुए है. वहीं मंदिर के शखर से आप शहर के हर कोने को देख सकते हैं.
लिंगराज मंदिर – ये शहर के बीच बना हुआ बहुत ही प्राचीन मंदिर है. मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. जिसका निर्माण 7वीं शताब्दी में राजा जाजति केशरी ने करवाया था. मंदिर चार भागों में बंटा हुआ है जिसमें गर्भ गृह, यज्ञ शाला, भोग मंडप और नाट्यशाला शामिल है. बता दें कि यहां पर हर दिन करीब 6000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
मुक्तेश्वर मंदिर – ये मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया है जोकि भगवान शिव को समर्पित है. इसका विशेषता यहां बनाए गए तोरण या मेहराब है जिसे महिलाओं के गहनें और अन्य जटिल डिजाइनों से सजाया गया है.
वासुदेव मंदिर – इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में हुआ था. मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा हुआ है. मंदिर की खासियत ये है कि यहां के गर्भगृह में मूर्तियां लकड़ी के बजाय काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई हैं.