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Income Tax Forms: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जारी किए फॉर्म, जानें आपको पड़ेगी किसकी जरूरत?

ABP Live   |  24 May 2023 02:37 PM (IST)
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ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने का नया सीजन शुरू हो चुका है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने आईटीआर फाइल करने में लोगों की मदद करने के लिए आईटीआर-1 और आईटीआर-4 फॉर्म को आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया है. आइए जानते हैं कि आईटीआर-1 और आईटीआर-4 में क्या फर्क है... इसके साथ ही हम आईटीआर फार्म के अन्य प्रकारों के बारे में भी जानेंगे.

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सबसे पहले आपको बता दें कि इनकम टैक्स रिटर्न के लिए कुल 06 प्रकार के फॉर्म होते हैं. आपको किस फॉर्म का चयन करना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी कमाई कैसी है, आप किस कैटेगरी के करदाता हैं आदि. अगर आपने गलत फॉर्म को चुना तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके रिटर्न को डिफेक्टिव बता सकता है. ऐसे में इसे अच्छे से समझ लेना जरूरी है.

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ITR-1: वैसे भारतीय नागरिक, जिनकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये तक है, यह फॉर्म उनके लिए है. यह आमदनी सैलरी, फैमिली पेंशन, एक आवासीय संपत्ति आदि से होनी चाहिए. लॉटरी या रेस कोर्स से हुई आय इस कैटेगरी में नहीं आती है. वहीं खेती से 5,000 रुपये तक की आय होने पर भी आईटीआर-1 सही फॉर्म है. हालांकि अगर आप किसी कंपनी में डाइरेक्टर है या किसी अनलिस्टेड कंपनी में आपके शेयर हैं, तो आप यह फॉर्म नहीं भर सकते हैं.

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ITR-2: यह फॉर्म वैसे लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों के लिए है, जिनकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से ज्यादा है और वे किसी बिजनेस से प्रॉफिट नहीं कमा रहे हैं. इसमें एक से ज्यादा आवासीय संपत्ति, इन्वेस्टमेंट पर हुए कैपिटल गेन या लॉस, 10 लाख रुपये से ज्यादा की डिविडेंड इनकम और खेती से हुई 5000 रुपये से ज्यादा की कमाई की जानकारी देनी होती है. अगर प्रॉविडेंट फंड से ब्याज के तौर पर कमाई हो रही है, तब भी यही फॉर्म भरना पड़ता है.

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ITR-3: यह फॉर्म वैसे लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों के लिए है, जिन्हें किसी बिजनेस के प्रॉफिट से कमाई हो रही है. इसमें आईटीआर-1 और आईटीआर-2 में दी जाने वाली सभी इनकम कैटगरी की जानकारी देनी होती है. अगर कोई व्यक्ति फर्म में पार्टनर है तो उसे अलग से आईटीआर फॉर्म भरना पड़ता है. शेयर या प्रॉपर्टी की बिक्री से कैपिटल गेन होने अथवा ब्याज या डिविडेंड से इनकम होने पर भी यही फॉर्म भरना होता है.

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ITR-4 यानी सुगम: यह फॉर्म वैसे लोगों, अविभाजित हिंदू परिवारों और एलएलपी को छोड़ बाकी कंपनियों के लिए है, जिनकी टोटल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है और उन्हें ऐसे सोर्सेज से कमाई हो रही है जो 44एडी, 44एडीए या 44एई जैसे सेक्शंस के दायरे में आते हैं. यह फॉर्म वैसे लोगों के लिए नहीं है, जो किसी कंपनी में डाइरेक्टर हैं या इक्विटी शेयरों में उनका निवेश है अथवा खेती से 5000 रुपये से ज्यादा की कमाई है.

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ITR-5: इनकम टैक्स रिटर्न भरने का यह फॉर्म एलएलपी कंपनियों, एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स, बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स, आर्टिफिशियल ज्यूरीडिकल पर्सन, को-ऑपरेटिव सोसाइटी और लोकल अथॉरिटी के लिए है.

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ITR-6: यह फॉर्म उन कंपनियों के लिए है, जिन्होंने सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा नहीं किया हो. सेक्शन 11 के तहत वैसी आय पर टैक्स से छूट मिलती है, जो किसी परमार्थ या धर्मार्थ कार्य के लिए ट्रस्ट के पास रखी संपत्ति से हो रही हो.

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