खाने-पीने के भी बेहद शौकीन थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे और भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी देश को छोड़कर चले गए.
होली पर 'उज्जैन की ठंडाई' और दीवाली पर तरह-तरह की मिठाई हमेशा वाजपेयी के मेन्यू में शामिल रही है. राजनीति की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वाजपेयी जी के मुहं से ग्वालियर के पकवानों का स्वाद नहीं गया.
जैसे ही ड्राइवर कार आगे बढ़ाता उसके पहले ही अटल जी ने कहा कि 'कार से नहीं हम तांगे से जाएंगे ताकि कोई देख न पाए'. जब अटल गोपाल मंदिर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि 'तीन गिलास भांग का घोंटा ले आओ, दो मैं पियूंगा और एक तुम पी लेना बाबूलाल'.
पुरानी दिल्ली में स्थित करीम होटल का खाना उन्हें काफी पसंद था. नॉनवेज में वे अक्सर 'झींगा' और झींगा मछली खाया करते थे. इसके दूसरे तरह के नॉनवेज डिश भी अटल जी को पसंद थे.
एक बार मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इंदौर से उज्जैन कार से आए. उज्जैन आते ही अटल ने कहा कि 'गोपाल मंदिर ले चलो'.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया है. इस शोकाकुल घड़ी में उनसे जुड़ी कुछ ऐसी यादों के बारे में बता रहे हैं जो उनके राजनीतिक जीवन से अलग उनके व्यक्तित्व की खास बातें रही हैं. बताया जाता रहा है कि वो शुरुआत से ही खाने के बड़े शौकीन थे.
अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक जीवन में जितनी मुखर व्यक्तित्तव वाली छवि रही उतने ही वो खाने के भी शौकीन भी थे. उन्होंने अपने नॉनवेज खाने और मदिरापान की बात को कभी नहीं छुपाया.
कॉलेज के समय में अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर में नया बजार के 'बहादुरा के लड्डू' और दौलतगंज की 'मंगौड़ी' के साथ-साथ वहां के 'समोसे-जलेबी' बेहद पसंद थे. यही नहीं जब वे दिल्ली आ गए तो उनके खाने के एक नहीं अनेक ठिकाने थे.