खुले आसमान में कब रखी जाती है खीर क्या इसके पीछे मान्यता जानें
चावल को देव अन्न माना गया है. शुभ कार्य में भोग में जरुर बनाई जाती है. चावल से बनी खीर मां लक्ष्मी, विष्णु जी, चंद्र देव और शंकर जी को अति प्रिय है.
धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे दुध-चावल से बनी खीर रखने से उसमें दैवीय और औषधीय गुण समां जाते हैं. कहते हैं इस खीर को ग्रहण करने वालों को अमृत की प्राप्ति होती है.
इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को है. इस दिन चंद्रोदय शाम 05 बजकर 05 मिनट पर हो जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता है.
शरद पूर्णिमा का चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले आकार में बड़ा और औषधीय गुण प्रदान करने वाला माना जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन होता है जब चन्द्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है.
धार्मिक मान्यता है कि औषधीय गुणों से भरपूर चंद्रमा की ये किरणें मनुष्य को कई बीमारियों से छुटकारा दिला सकती है. इसलिए इस रात को खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है.
खीर को रात भर खुले आसमान में रखने से चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ती हैं जिससे खीर में भी औषधीय गुण आ जाते हैं. इस खीर को खाने से सेहत अच्छी होती है.