✕
  • होम
  • इंडिया
  • विश्व
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
  • बिहार
  • दिल्ली NCR
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • झारखंड
  • गुजरात
  • छत्तीसगढ़
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू और कश्मीर
  • बॉलीवुड
  • ओटीटी
  • टेलीविजन
  • तमिल सिनेमा
  • भोजपुरी सिनेमा
  • मूवी रिव्यू
  • रीजनल सिनेमा
  • क्रिकेट
  • आईपीएल
  • कबड्डी
  • हॉकी
  • WWE
  • ओलिंपिक
  • धर्म
  • राशिफल
  • अंक ज्योतिष
  • वास्तु शास्त्र
  • ग्रह गोचर
  • एस्ट्रो स्पेशल
  • बिजनेस
  • हेल्थ
  • रिलेशनशिप
  • ट्रैवल
  • फ़ूड
  • पैरेंटिंग
  • फैशन
  • होम टिप्स
  • GK
  • टेक
  • ऑटो
  • ट्रेंडिंग
  • शिक्षा

Lord Shiva: पैरों में कड़ा, रुद्राक्ष की माला, ये हैं भोलेनाथ के 10 शुभ प्रतीक, जानें हर एक का मतलब

ABP Live   |  07 Jul 2023 11:39 AM (IST)
1

सावन के पवित्र महीने में पूरी श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की आराधना की जाती है. इस महीन में शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जाते हैं. भोलेनाथ के गले में सर्प, जटाओं में गंगा, मस्‍तक पर चांद, हाथों में डमरू और माथे पर तीसरी आंख होती है. इन सभी को भगवान शिव का पवित्र प्रतीक माना जाता है. जानते हैं कि शिव के इन सभी प्रतीकों के बारे में.

2

त्रिशूल: शंकर भगवान अपने हाथों में त्रिशूल धारण करते हैं. शिव का त्रिशूल जीवन के तीन मूलभूत पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है. यह तीनों कालों वर्तमान, भूत और भविष्य के साथ सतगुण, रजगुण और तमगुण का प्रतीक माना जाता है. इनसे ही सृष्टि की उत्पत्ति और प्रलय होता है.

3

रुद्राक्ष: भोलेनाथ अपने गले में रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं. माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आंसुंओं से हुई है. इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. कहा जाता है सच्चे मन से भगवान भोले की आराधना करने के बाद जो भी भक्त रुद्राक्ष धारण करता लेता है उसका तन-मन पवित्र हो जाता है.

4

जटाओं में गंगा: पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराज भागीरथ की कठोर तप से प्रसन्न होकर जब गंगा पृथ्वी पर आईं तो उनका आवेग बहुत ज्यादा था. भागीरथ की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने गंगा को अपनी जटाओं में कैद कर लिया. यह हर आवेग की अवस्था को संतुलित करने का प्रतीक है.

5

माथे पर चन्द्रमा: चन्द्रमा मन का कारक है. शिव पुराण के अनुसार महाराज दक्ष के श्राप से बचने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की पूजा की थी. भोलेनाथ चंद्रमा के भक्ति भाव से प्रसन्‍न हुए और उनके प्राणों की रक्षा की. चंद्रमा के निवेदन पर ही शिव ने उन्हें अपने सिर पर धारण किया. चंद्रमा के घटने-बढ़ने कारण महाराज दक्ष का श्राप ही माना जाता है.

6

पैरों में कड़ा: शिव जी अपने पैरों में कड़ा धारण करते हैं. यह कड़े स्थिरता और एकाग्रता को दर्शाते हैं. योगीजन और अघोरी भी भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए एक पैर में कड़ा धारण करते हैं.

7

मृगछाला: भोलेनाथ मृगछाला पर विराजते हैं. माना जाता है कि इस पर बैठकर साधना करने से इसका प्रभाव बढ़ता है और मन की अस्थिरता दूर होती है. तपस्वी और साधना करने वाले साधक आज भी मृगासन या मृगछाला के आसन को ही अपनी साधना के लिए श्रेष्ठ मानते हैं.

8

डमरू: भोलेनाथ अपने हाथ में डमरू धारण करते हैं. इसे संसार का पहला वाद्य कहा जाता है. इसके स्वर से वेदों के शब्दों की उत्पत्ति हुई इसलिए इसे नाद ब्रहम या स्वर ब्रह्म कहा गया है. भगवान शिव ने 14 बार डमरू बजाकर अपने तांडव नृत्य से संगीत की उत्पति की थी.

9

खप्पर: पौराणिक कथा के अनुसार महादेव ने अपने साथ रहने वाले भूत-प्रेत, नंदी, सिंह, सर्प, मयूर और मूषक के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी. मां अन्नपूर्णा ने भगवान शंकर का खप्पर अन्न से भर दिया. कहा जाता है कि यह खप्पर आज तक खाली नहीं हुआ है और इसी से सारी सृष्टि का पालन हो रहा है.

  • हिंदी न्यूज़
  • फोटो गैलरी
  • ऐस्ट्रो
  • Lord Shiva: पैरों में कड़ा, रुद्राक्ष की माला, ये हैं भोलेनाथ के 10 शुभ प्रतीक, जानें हर एक का मतलब
About us | Advertisement| Privacy policy
© Copyright@2025.ABP Network Private Limited. All rights reserved.