रुद्राक्ष और भद्राक्ष में क्या अंतर है?
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष(Rudraksha) और भद्राक्ष(Bhadraksha) दोनों का काफी महत्व है. मान्यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष भगवान शिव(Lord Shiva) के आंसुओं से उत्पन्न हुई है, जबकि भद्राक्ष को मां भद्रकाली से जोड़कर देखा जाता है.
रुद्राक्ष और भद्राक्ष दोनों का सनातन धर्म(Sanatan Dharma) में विशेष महत्व है. दोनों ही बीज अपने उपचार गुणों के लिए जाने जाते हैं. दोनों का इस्तेमाल माला और कंगन बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है.
रुद्राक्ष(Rudraksha) 21 प्रकार के होते हैं, जिनमें 11 प्रकार के रुद्राक्ष का काफी ज्यादा किया जाता है, जबकि भद्राक्ष(Bhadraksha) एक ही तरह के होते हैं.
रुद्राक्ष(Rudraksha) का प्रयोग बुरी शक्तियों से दूर रहने के लिए किया जाता है, जबकि भद्राक्ष(Bhadraksha) का प्रयोग आमतौर पर आभूषणों के निर्माण के लिए किया जाता है.
रुद्राक्ष(Rudraksh) को अगर पानी में डाला जाए तो ये पूरी तरह डूब जाता है, जबकि भद्राक्ष(Bhadraksh) पानी में डूबने की बजाए तैरता है.
रुद्राक्ष ईश्वरीय गुणों से समाहित होता है और ये सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है जिसमें भीनी-सी सुगंध भी होती है. जबकि भद्राक्ष किसी भी तरह की पूजा-अनुष्ठान में काम में नहीं लाया जाता है. भद्राक्ष को मृत्यु का प्रतीक माना जाता है.