Pitra Lok: मृत्यु के बाद पितृ किस लोक में रहते हैं?
सनातन धर्म में माना गया है कि मृत्यु के बाद आत्माएं एक साल तक पितृलोक में रहती हैं. आत्माएं तभी पितृलोक में जाती हैं अब उनकी अंत्येष्टि होती है.
पितृलोक में पितरों का निवास होता है. पितृलोक को मृत्युलोक और स्वर्गलोक के बीच का लोक कहा जाता है. पितृलोक, चंद्रमा के ऊपरी हिस्से में हैं.
पितृलोक के राजा आर्यमा हैं. पितृ जो पितृ लोक में रहते हैं उन्हें पितृगण कहा जाता है. जो पितृलोक में जाते हैं उन्हें पितृ कहते हैं.
इसी कारण पितरों की आत्मा की शांति के लिए तपर्ण किया जाता है. इसके लिए श्राद्ध पक्ष को उत्तम माना गया है. पितरों को अर्पित की गई वस्तुएं उसी लोक में जाती हैं जहां उनका वास होता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पूजन श्राद्धकर्म से संतुष्ट होकर पितर आशीर्वाद देते हैं और घर में खुशहाली बनी रहती है.
गरुड़ पुराण के अनुसार हमें अपने पितरों का आदर करना चाहिए और उनकी आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए सदैव अनुष्ठान अर्पित करना चाहिए.