Narayan Kavach: नारायण कवच पाठ के नियम कब,कैसे और किन बातों का रखें ध्यान
नारायण कवच पाठ श्रीमद्भागवत पुराण से लिया गया एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है.इसका पाठ शरीर के अंगों की रक्षा के लिए विष्णु के विभिन्न रूपों का आह्वान करता है और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है.
नारायण कवच पाठ करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें.सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत स्थान पर बैठकर पाठ करें.मानसिक एकाग्रता जरूरी है.यदि संभव हो तो व्रत रखें और भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं.नियमितता पाठ का प्रभाव बढ़ाती है.
इस पाठ से मानसिक,शारीरिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्राप्त होती है.यह नकारात्मक ऊर्जा,बुरे स्वप्न,भय और रोगों से रक्षा करता है.जीवन में स्थिरता,आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाता है.शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है और दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है.
इस पाठ में भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों द्वारा शरीर के सभी अंगों की रक्षा की प्रार्थना की जाती है.यह बताता है कि कैसे परमात्मा की शरण में जाकर हर संकट से बचा जा सकता है.यह एक दिव्य कवच है जो भक्त को सम्पूर्ण सुरक्षा देता है.
इस पाठ को प्रातःकाल या संध्या समय किया जा सकता है.शांत और पवित्र स्थान चुनें.भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाकर श्रद्धा से पाठ करें.संकल्प लेकर शुरुआत करें और पाठ के बाद विष्णु सहस्रनाम या ध्यान करें.
मान्यता है कि इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति,भय से मुक्ति और ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है.यह पाठ आध्यात्मिक उन्नति में सहायक माना जाता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है.