काल सर्प योग: क्या यह अशुभ है? जानें प्रभाव, उपाय और ज्योतिषीय सलाह!
काल सर्प योग का मतलब जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हो. काल सर्प योग की वजह से व्यक्ति को जीवन में संघर्ष और बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
ये योग कुंडली में तब बनता है जब सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह राहु और केतु की धुरी के भीतर हो. इससे बाकी ग्रहों की स्वतंत्रता में रुकावट आती है.
काल सर्प योग कई तरह के होते हैं, जिनमें अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म और महापद्म होते हैं. हर प्रकार के योग का प्रभाव भी अलग अलग होता है. ये जातक की कुंडली पर निर्भर करता है.
काल सर्प योग को इसलिए अशुभ योग माना जाता है क्योंकि ये जातक के जीवन में रुकावट, मानसिक चिंता, पारिवारिक क्लेश और करियर में बाधा उत्पन्न करता है.
हालांकि कुछ विद्वान काल सर्प दोष को लेकर कहते हैं कि यह योग व्यक्ति के जीवन में उसे आध्यात्मिक दिशा की ओर अग्रसर करने और कठिन परिश्रम करने के बाद सफलता दिलाने में सहायक होता है.
कालसर्प योग के कारण जातक को जीवन में सफलता मिलने में काफी देर लगती है. लेकिन वह व्यक्ति आखिर में दूसरों से और अधिक प्रखर, मजबूत और सफल होता है.
कालसर्प योग से छुटकारा पाने के लिए त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन और काशी में विशेष पूजा भी करवाई जाती है. इसके साथ ही नाग पंचमी और अमावस्या के मौके पर किए गए उपाय कालसर्प योग से छुटकारा दिलाते हैं.
कुंडली में अगर काल सर्प दोष है तो इससे डरने की बजाए इसे एक ऐसा संकेत मानना चाहिए, जो आपको संयम, साधना और मेहनत से सफलता दिलाने में सहायक साबित होगा. हालांकि काल सर्प योग की पहचान के लिए अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह जरूर ले.