'कालसर्प योग' सबसे अशुभ योगों में से एक है, ये इंसान को 42 साल तक करता है परेशान
Kaal Sarp Dosh- कालसर्प योग सबसे अशुभ योगों में से एक माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में इस योग को लेकर अलग अलग मत है. कालसर्प योग दो पाप ग्रहों से मिलकर बनता है, जिन्हें राहु और केतु कहा जाता है.
राहु को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख ग्रह बताया गया है. ये भम्र और जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं का कारक माना गया है. ये शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करता है. कालसर्प दोष की स्थिति में ये मनुष्य को अधिक संघर्ष कराता है.
केतु को मोक्ष औेर शोध आदि का कारक माना गया है. केतु जब कुंडली में मजबूत होता है तो व्यक्ति रिसर्च आदि में विशेष सफलता पाता है. कालसर्प दोष कुंडली में होने पर ये हर कार्य में बाधा प्रदान करता है.
राहु केतु के मध्य जब सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष की स्थिति बनती है. राहु केतु को एक सर्प के समान माना गया है. जिस प्रकार सर्प की जकड़ से निकल पाना मुश्किल होता है उसी प्रकार जब कालसर्प योग बनता है तो उसे सालों साल संघर्ष करना पड़ता है, तब कहीं जाकर उसे सफलता मिलती है.
मेष और तुला राशि पर वर्तमान समय में राहु और केतु विराजमान है. इसलिए इन राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. इस दौरान इन राशि वालों को जीवन में अचानक धन की हानि, जॉब में परेशानी और सेहत संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है
राहु केतु के अशुभ प्रभाव बचने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. राहु केतु को शुभ रखने के लिए नशा आदि से दूर रहना चाहिए. बुरी संगत का त्याग करना चाहिए. भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने से इन ग्रहों की अशुभता दूर होती है.