Holi 2024 Date: होली मार्च में कब है, जानें इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां
हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से वरदान मांगा की उसकी मृत्यु मनुष्य या पशु के हाथों न हो, न किसी अस्त्र-शस्त्र से ना हो.ब्रह्मा जी ने उसे ये वरदान भी दिया.
लेकिन जब हिरण्यकश्यप को प्रहलाद के विष्णु भक्ति का पता चला तो उसने अपने बेटे को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन प्रहलाद ने उनकी बात ना मानी, तब हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का फैसला लिया.
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को कहा कि वो प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए ताकि प्रहलाद भाग ना सके और वह अग्नि में जलकर खाक हो जाएगा. होलिका ने ऐसा ही किया. होलिका को भगवान ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था और अग्नि उसे जला नहीं सकती थी. होलिका के एक वस्त्र में ना जलने की शक्ति थी. लेकिन जब होलिका प्रहलाद को लेकर अपने गोद में बैठी तो तेज हवा के वेग से उस कपड़े ने प्रहलाद को ढक लिया और होलिका अग्नि में जलकर खाक हो गई और प्रहलाद बच गया.
होलिका से जुड़े होने के कारण इस पर्व का नाम होली पड़ गया. इस दिन को उस्तव के रुप में मनाया जाने लगा.
हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए खंभे से बांध दिया तबही नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध अपनी गोद में रखकर नाखूनों से कर दिया. इस तरह ब्रह्मा का वरदान भी नहीं टूटा.