Friendship Day 2023: दोस्ती की सच्ची कहानी श्री कृष्ण और सुदामा की सच्ची यारी, 2 मुट्ठी चावल के लिए दिए 2 लोक, जानें
फ्रेंडशिप-डे ना केवल आज के समय से लोग इसे मान और मना रहें है बल्कि इसे हमारे देवी-देवताओं ने भी माना है. इसी दोस्ती की मिसाल है श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती. कृष्ण और सुदामा की बहुत सी कहानियां है जिसमें इन दोनों का एक दूसरे के प्रति त्याग, प्यार और सम्मान दिखाई देता है.
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल दुनिया देती है. लेकिन जब भी इनकी दोस्ती की चर्चा होती है मन भावुक हो जाता है. एक बार गुरुकुल में शिक्षा पूरी करने के बाद कृष्ण और सुदामा अपने अपने घरों में वापस चले गए. सुदामा वेद का पाठ करने के बाद भिक्षा लेकर जीवन यापन करने लगे, और कृष्ण राजनीतिज्ञ बन द्वारिकाधीश बन गए.
विवाह के बाद सुदामा बहुत दुखी होकर जीवन व्यतीत करने लगे. तब उनकी पत्नी ने कहा कि वे अपने मित्र द्वारकाधीश श्री कृष्ण से सहायता मांगे. पत्नी के जोर देने पर इच्छा के विपरीत सुदामा श्री कृष्ण से मिलने पहुंचे. जब कृष्ण को अपने मित्र के आगमन का समाचार मिला, तो वे नंगे पांव दौड़ कर, द्वार पर उन्हें लेने आए.
सुदामा की दीन अवस्था देखकर, श्री कृष्ण इतने भावुक हो गए कि उनके आंसुओं के जल से ही सुदामा के चरण भूलने लगे. इसके बाद कृष्ण ने उनसे पूछा कि मित्र तुम मेरे लिए क्या लाए हो. शरमाते हुए सुदामा ने पत्नी द्वारा दी गई चावलों की पोटली आगे कर दी. कृष्ण जी ने वह पोटली प्रसन्नता के साथ सुदामा के हाथ से ले ली, और एक के बाद एक उसमें से दो मुट्ठी चावल खा लिए. इस प्रक्रिया के साथ ही 2 लोक की संपत्ति सुदामा के नाम कर दी.
जैसे ही तीसरी मुट्ठी चावल खाने को श्री कृष्ण ने हाथ बढ़ाया उनका हाथ उनकी पटरानी रुक्मणी ने थाम लिया. सभी लोग विस्मय से रुकमणी को देखने लगे, कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया. तब रुक्मणी ने कहा प्रभु आपने दो मुट्ठी में 2 लोक तो दान कर दिए हैं. अब तीसरा मत कीजिए, वरना हम सब और आपकी प्रजा कहां जाएंगे. इस पर कृष्ण रुक गए और सुदामा को प्रेम पूर्वक उनके घर के लिए, वस्त्र आभूषण के साथ विदा किया.