Guru Gobind Singh Jayanti 2025: गुरु गोविंद सिंह कैसे बनें सिख के 10वें गुरु, प्रकाश पर्व पर क्या करते हैं सिख
सिखों से दसवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह ऐसे वीर संत थे, जिन्होंने मुगलों के सामने कभी घुटने नहीं टेके और खालसा पंथ की स्थापना की. जब भी हम वाहे गुरु जी का खालसा या वाहे गुरु जी की फतेह कहते हैं है तो ये उनकी वीरता को बयां करता है.
गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 में हुआ था. हालांकि नानकशाही कैलेंडर के अनुसार हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को इनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है, जोकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक इस साल 06 जनवरी 2025 को है.
2025 में गुरु गोविंद सिंह जी की 358वीं जयंती मनाई जाएगी. गुरु गोविंद सिंह की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन पर सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं, प्रार्थना-कीर्तन करते हैं और उनकी दी हुई सीख को याद करते हैं.
गुरु गोविंद सिंह की जयंती का दिन उनकी शिक्षाओं पर चिंतन करने के साथ ही उनके मूल्यों, निर्भयता, करूणा, अटूट विश्वास और आत्मनिरीक्षण करने का दिन है. गुरु गोविंद सिंह साहस, ज्ञान और आध्यात्मिकता के प्रतीक माने जाते हैं.
15वीं सदी में गुरु गोविंद सिंह ने सिख पंथ की स्थापना की थी. अल्पायु में ही ये सिख के दसवें गुरु बन गए. आइये जानते हैं गुरु गोविंद सिंह के 10वें गुरु बनने की कहानी.
कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह में गुरुनानक देव जी ज्योति प्रकाशित हुई थी. इसलिए गुरु गोविंद सिंह को दसवीं ज्योति कहा जाता है. हालांकि गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने अंतिम समय में गुरु ग्रंथ साहिब को ही अपना गुरु मानने को कहा था.