Diwali 2024: शुभ लाभ और स्वास्तिक का महत्व जानते हैं आप
हिंदू धर्म में कुछ चीजें और निशान बहुत ही पवित्र माने जाते हैं. जिनका प्रयोग हर शुभ अवसरों पर जरूर किया जाता है. स्वास्तिक, ऊं और शुभ-लाभ समेत कई तरह के निशान होते हैं जिसे किसी धार्मिक अनुष्ठान करते समय, पूजा स्थल, मंदिर और व्रत-त्योहारों के मौके पर जरूर अंकित किया जाता है.
हिंदू धर्म में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है.भगवान गणेश समृद्धि, बुद्धि और सफलता देने वाले और जीवन से बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं. गणेशजी भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को दूर करते हैं और सभी मनोरथों को पूर्ण करते हैं. भगवान गणेश स्वयं रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं. यदि वह प्रसन्न हो जाए तो अपने भक्तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं.
घर के मुख्य द्वार पर शुभ लाभ लिखा हुआ आपने देखा होगा. शास्त्रों के अनुसार गणेशजी का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं से हुआ था। सिद्धि से 'क्षेम'(शुभ) और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए. इन्हें ही शुभ-लाभ के नाम से जाना जाता है. गणेश पुराण के अनुसार शुभ और लाभ को केशं और लाभ नामों से भी जाना जाता है वहीं रिद्धि शब्द का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे हिंदी में शुभ कहते हैं. सिद्धी शब्द का मतलब होता है 'आध्यात्मिक शक्ति' की पूर्णता यानी 'लाभ'.
दिवाली के अवसर पर आपको पवित्र चिन्हों को मुख्य द्वार पर रखना चाहिए या अंकित करना चाहिए. आपको शुभ-लाभ या स्वास्तिक के चिन्ह को अंकित करना चाहिए ऐसा करना शुभ माना जाता है और आपके घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है और आपके जीवन में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं रहती है.
स्वस्तिक को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इसे बनाने से घर पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.स्वस्तिक को भगवान गणेश का रूप माना जाता है. स्वस्तिक चिह्न को चंदन, कुमकुम या सिंदूर से बनाने पर ग्रह दोष दूर होते हैं.स्वस्तिक चिह्न को कार्य की शुरुआत और मंगल कार्य में रखा जाता है.स्वस्तिक चिह्न को बनाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. स्वस्तिक चिह्न को बनाने से घर में देवी-देवता प्रवेश करते हैं. स्वस्तिक चिह्न को बनाने से सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है.