Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती में क्या अंतर है ?
आमतौर पर लोग बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती को एक ही मानते हैं. इन दोनों में अंतर जानने से पहले हम भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध में अंतर जान लेते हैं. जिन्हें अधिकतर लोग एक ही मानते हैं, लेकिन ये दोनों एक नहीं हैं.
भगवान बुद्ध विष्णु जी के 9वें अवतार माने गए हैं, जिनका अवतार 5 हजार साल पहले हुआ था. जब दैत्यों का आतंक बढ़ गया. असुर यज्ञ कर शक्तिशाली बनना चाहते थे. देवताओं को डर था कि दैत्यों के बलशाली होने पर संसार में अधर्म के पैर पसारने लगेंगे.
इसे रोकने के लिए देवताओं ने विष्णु जी की शरण ली तब श्रीहरि ने भगवान बुद्ध का रूप धारण किया. उनके हाथ में मर्जनी थी और वे रास्ते का साफ करते हुए आगे बढ़े, दैत्यों के पास पहुंचकर भगवान बुद्ध ने कहा. ये यज्ञ करना उचित नहीं इससे जीवों को नुकसान पहुंचता है.
जीवहिंसा रोकने के लिए मैं स्वंय रास्ते को साफ करते हुए चल रहा हूं. भगवान बुद्ध की इस बात का असर दैत्यों पर पड़ा और उन्होंने यज्ञ करना बदं कर दिया. कुछ दिनों बाद असुरों की शक्ति कमजोर पड़ गई. स्वर्ग लोक में पुन: देवताओं का आधिपत्य हुआ. जीव हिंसा रोकने और संसार के कल्याण के लिए विष्णु जी ने भगवान बुद्ध का अवतार लिया था.
ललित विस्तार ग्रन्थ के 21 वें अध्याय के 178 पृष्ठ पर बताया गया है कि यह मात्र संयोग ही है कि गौतम बुद्ध ने उसी स्थान पर तपस्या की थी, जिस स्थान पर भगवान बुद्ध ने तपस्या करने की लीला रचाई.
बौद्ध धर्म के लोग गौतम बुद्ध को विष्णु जी का अवतार नहीं मानते हैं. गौतम बुद्ध का जन्म 477 बीसी में हुआ था. इनके पिता का नाम शुद्धोदन तथा माता मायादेवी थी.
बुद्ध पूर्णिमा पर हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु के बुद्ध अवतार की उपासना करते हैं. स्नान-दान करते हैं. जबकि शांति और अहिंसा के प्रतीक गौतम बुद्ध को मानने वाले उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं. दान भी देते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा को लोग बुद्ध जयंती के रूप में ही मनाते हैं. भारत ही नहीं बल्कि श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, तिब्बत, भूटान, इंडोनेशिया, कोरिया, और विजयनाम सहित हर उस देश में मनाया जाता है जहां गौतम बुद्ध के अनुयायी हैं.
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