Devshayani Ekadashi 2025: इस दिन से भगवान विष्णु होंगे योगनिद्रा में लीन, जानिए देवशयनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त
देवशयनी एकादशी का महत्व: आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीनों तक विश्राम करते हैं. इस समय को चातुर्मास कहा जाता है, जिसमें विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है.
तिथि और व्रत का दिन: वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी का व्रत 06 जुलाई 2025, शनिवार को रखा जाएगा. एकादशी तिथि शुरू: 05 जुलाई 2025, शाम 6:58 बजे एकादशी तिथि समाप्त: 06 जुलाई 2025, शाम 9:14 बजे
व्रत पारण का समय: व्रत पारण का मतलब है उपवास को तोड़ना. 07 जुलाई 2025, रविवार को पारण किया जाएगा. शुभ समय: सुबह 5:29 बजे से 8:16 बजे तक
इस दिन क्या करना चाहिए? सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करें. पीले फूल, तुलसी के पत्ते, दीपक, नैवेद्य और पंचामृत अर्पित करें. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें. विष्णु सहस्त्रनाम या चालीसा का पाठ भी करें. अगर संभव हो तो दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत करें और रात में भजन-कीर्तन करें. दान देना इस दिन शुभ माना जाता है जैसे वस्त्र, अन्न, तांबा, छाता आदि.
क्या नहीं करना चाहिए? इस दिन अन्न, खासकर चावल, गेहूं और दालें नहीं खानी चाहिए. मान्यता है कि चावल खाने से अगला जन्म कीट-पतंगे का हो सकता है. मांसाहार, शराब, लहसुन, प्याज और तैलीय व मसालेदार खाना भी नहीं खाना चाहिए. ऐसे भोजन से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
देवशयनी एकादशी के दिन झूठ बोलने, गाली देने या किसी से लड़ाई-झगड़ा करने से बचना चाहिए. मधुर वाणी और संयमित व्यवहार से ही व्रत का फल मिलता है. खासकर घर के माहौल में शांति बनाए रखें. पति-पत्नी या परिवार में किसी से कलह ना करें.
इस दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए, न ही शेविंग करनी चाहिए. यह अशुद्धता मानी जाती है. रात को जल्दी नहीं सोना चाहिए, बल्कि जागरण या भजन करना शुभ होता है. चूंकि इसी दिन से चातुर्मास शुरू होता है, इसलिए आने वाले चार महीनों तक कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते. यह समय ध्यान, पूजा और सेवा कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है.