Chhath Puja 2023: छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देते समय क्यों करते हैं बांस के सूप का प्रयोग, जानें
चार दिवसीय महापर्व छठ का आज सोमवार 20 नवंबर 2023 को आखिरी दिन है. आज भोर में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत का समापन होगा. छठ पर्व में विशेष रूप से बांस से बने सूप का प्रयोग होता है. इसी सूप में प्रसाद, फल और अन्य पूजा सामग्रियों को सजाया जाता है.
छठ पर्व में कई सामग्रियों की जरूरत पड़ती है, जिसमें बांस से बना सूप भी एक है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. इसी सूप को दोनों हाथों से पकड़कर व्रती कमर तक पानी में डूबकर परिक्रमा करते हुए सूर्य को अर्घ्य देती है. आइये जानते हैं छठ पर्व में बांस से सूप का क्या है महत्व.
छठ पर्व का कठिन व्रत सुखमय दांपत्य जीवन, संतान सुख की प्राप्ति, संतान की अच्छी सेहत और घऱ-परिवार में खुशहाली की कामना के साथ रखा जाता है. दरअसल बांस बहुत तेजी से बढ़ता है. ऐसे में यह मान्यता है कि, जिस तरह से बांस तेजी से बढ़ता है, उसी तरह से संतान और समृद्धि में भी तेजी से प्रगति होती है.
सूर्य को अर्घ्य देते समय विशेष रूप से बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है. अर्घ्य के समय व्रती फल और प्रसाद से सजे बांस के सूप, दउरा, डाला या टोकरी को हाथ में रखकर परिक्रमा करते हुए अर्घ्य देती है. बांस के बने सूप से ही छठी मैया को भेंट दी जाती है.
वहीं मान्यता यह भी है कि, छठ में बांस बने सूप का इस्तेमाल करने से धन, समृद्धि और संतान सुख में वृद्धि होती है. इसलिए छठ पूजा में इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है.
बांस के टोकरी या सूप के साथ ही छठ पर्व में पीतल के बर्तन, गन्ना, बड़ा नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ प्रसाद, नई साड़ी आदि जासी चीजें भी जरूरी है. इनके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है.