Chhath Puja 2022: छठ पूजा में डूबते-उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व, जानें जल चढ़ाने का मुहूर्त
छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू हो जाती है पहले दिन नहाए खाए से इसका आरंभ होता है. नहाए खाए 28 अक्टूबर 2022 को है. वहीं खरना 29 अक्टूबर 2022 को किया जाएगा. चार दिन के इस त्योहार में छठी मैय्या और सूर्य देव की उपासन की जाती है.
छठ पूजा 30 अक्टूबर 2022 को है. इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानी की डूबते सूरज को अर्घ्य देने का विधान है. व्रती नदी, तालाब में खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ाते हैं. कुछ जगहों पर छठ पूजा के दिन लोग घाट पर पूरी रात जागरण भी करते है.
मान्यता है कि छठ पूजा में तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य देने जीवन में संपन्नता आती है. इस समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं. अर्घ्य देकर सूर्य के साथ देवी प्रत्युषा की उपासना की जाती है. इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है. इस दिन सूर्यास्त समय - शाम 5.37 मिनट
चौथे दिन छठ पूजा में उषाकाल में यानी की उगते सूर्य को अर्घ्य दिया था. शास्त्रों के अनुसार इस दिन उगते सूर्य के अर्घ्य देने से संतान को सूर्य के समान तेजस्वी, बलशाली बनने का आशीर्वाद मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य के आशीर्वाद से कुंती को पुत्र कर्ण की प्राप्ति हुई थी.सूर्योदय समय- सुबह 6.31 मिनट
छठ पूजा में कमर तक खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. माना जाता है कि ये प्रथा कर्ण ने ही शुरू की थी. कर्ण हर रोज घंटों तक कमर तक के पानी में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे. सूर्य देव के वरदान से ही उन्हें कवच और कुंडल प्राप्त हुए. तभी से यह परंपरा चली आ रही है.