Chaturmas 2025: चातुर्मास कब खत्म होगा, किस दिन से शुरू होंगे मांगलिक काम
चातुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है, क्योंकि यह ऐसी अवधि होती है जब भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में होते हैं. धार्मिक रूप से यह अवधि पवित्र होती है, लेकिन मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.
आषाढ़ माह के देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है और कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी पर चातुर्मास समाप्त हो जाता है. इस दिन श्रीहरि के जागते ही चार माह से रुके मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
इस साल 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा और इसी दिन से चातुर्मास भी समाप्त हो जाएगा. चातुर्मास के समाप्त होते ही मुंडन संस्कार, विवाह, तिलक, यज्ञोपवीत जैसे शुभ-मांगलिक संस्कार की शुरुआत हो जाएगी.
चातुर्मास में मांगलिक कार्यों पर रोक के कई धार्मिक कारण है. इस दौरान पितृपक्ष की शुरुआत होती है, जिसमें मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. साथ ही यह समय ऋषि और तपस्वियों के तप-साधना का होता है जिसमें वे एक स्थान पर रहकर साधना करते हैं. इसलिए चातुर्मास में नियम-संयम का पालन करने की परंपरा बनी है.
धार्मिक के अलावा यदि प्राकृतिक दृष्टि से देखा जाए तो चातुर्मास की अवधि में वर्षा अधिक होती है, जिससे इस दौरान यात्रा और शादी-विवाह जैसे बड़े आयोजन कठिन और असुविधाजनक भी हो जाते हैं.
बता दें कि चातुर्मास में भले ही मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है. लेकिन आत्मशुद्धि, पूजा-पाठ, व्रत, जप-तप और ध्यान के लिए इस समय को श्रेष्ठ माना जाता है.