अयोध्या: सीता जी को मुंह दिखाई में मिला था ये महल, पुरुषों का जाना था वर्जित, जानें रोचक बातें
अयोध्या के उत्तरपूर्व में बना यह विशाल कनक मंदिर अपनी अनोखी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है. पौराणिक मान्यता है कि कैकेयी ने अपनी बहू माता सीता को ये भवन मुंह दिखाई में दिया था.
त्रेता युग में मिथिला प्रभू श्रीराम और माता जानकी का विवाह हुआ तब उस रात्रि श्रीराम के मन में विचार आया कि अयोध्या में सीता जी के लिए सुंदर भवन होना चाहिए.
कहते हैं जिस पल भगवान के मन में ये कामना उत्पन्न हुई, उसी क्षण अयोध्या में महारानी कैकेयी को स्वप्न एक दिव्य महल दिखाई दिया. उन्होंने अपना सपना राजा दशरथ से व्यक्त किया और उसकी प्रतिकृति अयोध्या में बनावाने का आग्रह किया. इस भवन का नाम था कनक भवन.
राजा दशरथ के अनुरोध पर देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा जी की देखरेख में कनक भवन बनवाया गया. जिसे कैकेयी ने विवाह के बाद माता सीता को मुंह दिखाई में भेंट किया था. मान्यता है कि यहां राम जी के अलावा किसी पुरुष को आने की अनुमति नहीं थी. राम-सीता की देहत्याग के बाद उनके बेटे कुश ने यहां उनके विग्रह स्थापित किए थे.
अयोध्या राम मंदिर विवाद के समय कनक भवन पर भी आंच आई थी, ये भवन टटू-फूट कर ऊंचा टीला बन चुका था. कहते हैं द्वापर युग में जब यहां श्रीकृष्ण अपनी पत्नी के साथ टीले पर बैठे थे तब उन्होंने द्विव्य दृष्टि से इसका सत्य जान लिया और पुन: श्रीसीताराम के प्राचीन विग्रहों को प्राप्त कर वहां स्थापित कर दिया.
वर्तमान कनक भवन का निर्माण ओरछा के राजा सवाई महेन्द्र प्रताप सिंह की धर्मपत्नी महारानी वृषभानु कुंवरि का बनवाया हुआ है. 1891 ई. में प्राचीन मूर्तियों के साथ में मंदिर में दो नए राम सीता के विग्रह की भी स्थापना करवाई थी.