Hanuman Garhi Ayodhya: अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन के बिना अधूरी है श्रीराम की पूजा, जानें इतिहास और रोचक बातें
प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी को अधोध्या का सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर माना जाता है.हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले स्वामी अभयराम जी ने की थी.
अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित है हनुमानगढ़ी मंदिर.मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तजनों को 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. कहते हैं यहां बजरंगबली के दर्शन किए बिना रामलला की पूजा अधूरी मानी जाती है.
हनुमानगढ़ी भगवान बजरंगबली का घर कहा गया है. माना जाता है कि जब भगवान राम, हनुमान जी सहित लंका विजय करने के बाद अयोध्या आए थे तब से ही हनुमान जी यहां एक गुफा में रहने लगे थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे.
यहां पर लंका से जीत के बाद लाए गए निशान भी रखे गए हैं. हनुमानगढ़ी मंदिर में एक खास‘हनुमान निशान' है, जो करीब 4 मीटर चौड़ा और 8मीटर लंबा ध्वज है. मान्यता है हर पूजा से पहले करीब 200 लोग इसे पकड़कर जन्मभूमि स्थल ले जाते हैं. जहां सबसे पहले इसकी पूजा की जाती है.
हनुमानगढ़ी बनवाने के पीछे के रोचक कहानी है. कहते हैं यहां जब नवाब शुजाऊद्दौला के शहजादे गंभीर बीमार हुआ तो चिकित्सकों ने भी हाथ टेक दि थे. नवाब परेशान हो गये तो हिंदू मंत्रियों ने बाबा अभयराम और उन पर हनुमान जी की कृपा के बारे में नवाब को बताया.
कहते हैं कि जब अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का नवाब के बेटे पर छिड़का तो उसकी सांसे लौट आईं.नवाब ने इसे चमत्कार माना और अभयराम जी से हनुमानगढ़ी बनवाने की बात कही.