आषाढ़ अमावस्या पर आज भूलकर भी न करें ये काम, पितृ होते हैं नाराज
हर महीने कृष्ण पक्ष में अमावस्या तिथि पड़ती है. आषाढ़ महीने में पड़ने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है. स्नान, दान और धार्मिक कार्यों से लेकर पितरों के श्राद्ध और तर्पण आदि के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण होता है.
मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध और दान करना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. लेकिन आज ऐसा कोई काम न करें, जिससे पूर्वज नाराज हों और आपको पितृदोष (Pitra Dosh) का सामना करना पड़े.
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है. इसलिए आज के दिन पितरों को भला-बुरा न कहें और ना ही किसी बात को लेकर उन्हें कोसे.
अमावस्या के दिन खासकर कुत्ता, गाय और कौवे को किसी प्रकार का कष्ट न दें. क्योंकि इन्हीं जीवों के माध्यम से पितृ श्राद्ध का भोजन ग्रहण करते हैं. इसलिए इन पशु-पक्षियों को पितरों का अंश मानकर भोजन कराया जाता है.
पति-पत्नी को अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इसलिए इस दिन तन-मन से पवित्र होकर पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्य में समय बिताएं.
अमावस्या के दिन तामसिक भोजन जैसे, मांस-मदिरा आदि के सेवन से परहेज करें, घर को साफ-सुथरा रखें. साथ ही किसी के साथ वाद-विवाद भी करने से बचें.
ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रबल हो जाती हैं. इसलिए अंधेरा होने के बाद क्रबिस्तान, श्मशान या सुनसान जगहों पर अकेले न जाएं. इससे आप पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है.