फिर आ गया पराली और प्रदूषण का सीजन, जानिए प्रदूषण में इसका कितना रोल, कैसे हवा को कर रहा खराब
बीते कई सालों राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर और इसके आसपास का इलाका भारी प्रदूषण की समस्या से लगातार जूझता आया है. सर्दी के दिनों में प्रदूषण का लेवल और बढ़ जाता है, जिसकी वजह से वहां रहने वाले लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है. ऐसे में प्रदूषण का बड़ा कारण पराली को भी माना जाता है, जिसे किसान जलाते हैं.
किसान भाई फसल काटने के बाद खेतों में जो धान के डंठल बच जाते हैं, जिसे पराली भी कहा जाता है उसे किसान भाई जला देता हैं. किसान भाई फसल अवशेष को साफ करने और खेतों को बुवाई के लिए तैयार करने के लिए पराली को जला देता हैं.
रिपोर्ट्स की मानें तो बीते कई सालों में हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसान जो पराली जलाते हैं. उससे पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं.
पराली जलाना वायुमंडलीय कण पदार्थ (पीएम) और सूक्ष्म गैसों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो स्थानीय और क्षेत्रीय जलवायु पर काफी प्रभाव डालता है.
वायु प्रदूषण के चलते लोगों की सेहत बिगड़ सकती है. इस वजह से हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों का कैंसर और सांस लेने में परेशानी का खतरा बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि किसान भाई पराली ना जलाएं. धान की फसल कटाई के दौरान बॉयो-डीकंपोजर का प्रयोग कर खेत में ही पराली को मिलाकर खाद बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं.