केनया के इस गांव में बुजुर्गों को बेहरमी से मौत के घाट क्यों उतारा जाता है? वजह जानकर हैरान रह हो जाएंगे
केनया के एक छोटे गांव में अंधविश्वास की खाई गहराई तक फैली हुई है. बुजुर्गों को अक्सर जादूगर होने के आरोप में जान से हाथ धोना पड़ता है. परिजनों को हमला होने की आंशका हमेशा सताती रहती है. जादू-टोना प्रतिबंधित होने के बावजूद आए दिन हत्या की खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं.
केनया के एक छोटे गांव में लोगों को बेरहमी से हत्या करना कोई नई बात नहीं है. अक्सर बुजुर्गों को जादू-टोने के शक में मार दिया जाता है. गांव में मशहूर है कि बीमारियां, मौत या नुकसान जादू-टोना का नतीजा हैं. इस मान्यता की वजह से कभी-कभी गांव के लोगों का आपसी संबंध ठीक नहीं रह पाता. जादूगर होने का अक्सर आरोप बूढ़े लोगों पर लगाया जाता है.
अंधविश्वास के चलते बुजुर्गों की जान को सबसे ज्यादा है खतरा
आरोप के नतीजे में दर्दनाक हत्या जैसी जघन्य वारदात सामने आती है. जीवित इंसान को मौत के घाट उतार दिया जाता है. पारंपरिक रूप से केनया में बड़ी आबादी ईसाई और इस्लाम धर्म को माननेवालों की है. पीयू रिसर्च सेंटर के 2010 में सर्वे से पता चला कि केनया में 11 फीसद लोग झाड़-फूंक पर विश्वास रखते हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से जादू-टोना करना गैर कानूनी है और अपराध साबित हो जाने पर आरोपी को 10 साल की जेल का प्रावधान है. लेकिन आए दिन मीडिया में बननेवाली सुर्खियां हकीकत कुछ और कहती हैं.
जादू-टोना का आरोप लगाकर बुजुर्गों की कर दी जाती है हत्या
अक्सर ऐसी खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं जिसमें बताया जाता है कि अंधविश्वास में किसी की हत्या कर दी गई. बीबीसी ने पुलिस के हवाले से बताया कि सिर्फ कैलेफी काउंटी में पिछले दो वर्षों के दौरान जादू-टोना का आरोप लगाकर डेढ़ सौ से ज्यादा बुजुर्गों को मौत के घाट उतार दिया गया. आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि बोनी किसमानी गांव के बुजुर्ग महिला और पुरुषों को जिंदगी का डर है. घरवालों को इस बात का अंदेशा रहता है कि जादूगर होने के आरोप में उनके बुजुर्गों को निशाना न बना दिया जाए.
केनया मुस्लिम यूथ एलायंस के समन्यवक खमीसी मोगोजो समाज में फैले अंधविश्वास की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि अंधविश्वास की समस्या से निबटने के लिए सबकी भागीदारी आवश्यक है. इसके लिए उन्होंने धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों को साथ जोड़कर जागरुकता फैलाना शुरू कर दिया है. उनका ये भी कहना है कि विभिन्न धार्मिक समूहों के मतभेद से पैदा होनेवाले आरोप-प्रत्यारोप भी एक प्रमुख समस्या है. युवाओं को सलाह देते हुए उन्होंने बताया कि पैतृक संपत्ति पर भरोसा करने के बजाए रोजगार के अवसर खुद पैदा करने की कोशिश करनी चाहिए.
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