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रूस ने रद्द की अमेरिका के साथ एकलौती परमाणु संधि, क्या रूस और अमेरिका के बीच अब होगा परमाणु युद्ध

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के एक साल पूरे होने से दो दिन पहले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक एलान किया है. और अमेरिका को परमाणु युद्ध की चेतावनी दे डाली है.

यूक्रेन में युद्ध की पहली वर्षगांठ से दो दिन पहले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक फैसला सुनाया है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस न्यू स्टार्ट में अपनी भागीदारी से किनारा कर रहा है. पुतिन ने ये एलान मंगलवार (21 फरवरी) को अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में किया.

 पुतिन ने एलान करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों को परमाणु युद्ध की चेतावनी दे दी है, और कहा कि वह ऐतिहासिक न्यू स्टार्ट संधि को निलंबित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रूस नए स्ट्रैटजिक सिस्टम्स को युद्ध के लिए तैनात कर रहा है. पुतिन ने यह भी चेतावनी दी कि रूस परमाणु परीक्षण फिर से शुरू कर सकता है. पुतिन ने अपने संबोधन में पश्चिमी देशों पर रूस को नष्ट करने की कोशिश का भी इल्जाम लगाया.

पुतिन ने अपने भाषण के दौरान दावा किया कि रूस को युद्ध के मैदान में हराना नामुमकिन है. पुतिन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका वैश्विक स्तर पर युद्ध को भड़का रहा है. ऐसे में रूस न्यू स्टार्ट संधि में भागीदारी को निलंबित कर रहा है. ऐसे में आइये सबसे पहले ये समझते हैं कि न्यू स्टार्ट संधि क्या है और यूक्रेन युद्ध के दौरान जिस तरह से अमेरिका और रूस के बीच तनातानी बनी हुई है इस समय में रूस का ये फैसला किस अंजाम पर पहुंचा सकता है. 

5 फरवरी 2011 को लागू हुई थी न्यू स्टार्ट संधि

1991 में अमेरिका और तत्कालीन यूएसएसआर के बीच "रणनीतिक हथियार न्यूनीकरण संधि" को  लेकर समझौता हुआ था. इस समझौते को स्टार्ट-1 के नाम से भी जाना जाता है. आपसी समझौते के बाद साल 1994 में दोनों देशों ने इस संधी को लागू किया था.

स्टार्ट-1, संधी के तहत दोनों देशों ने इस बात पर सहमती जताई थी कि दोनों ही देश अपनी तरफ 6,000 परमाणु हथियारों और 1,600 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) तैनात कर सकते हैं. ये नंबर पहले तैनात किए जा रहे परमाणु हथियारो और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) के मुकाबले घटा दिए गए थे. 2009 में दोनों देशों ने इस संधि को खत्म कर दिया और इसे नए तरीके से दोबारा स्थापित किया और इसे न्यू स्टार्ट संधि के तौर पर जाना जाने लगा. 

रूस- अमेरिका के बीच करार के बाद न्यू स्टार्ट संधि की अवधी बढ़ाई गई 

न्यू स्टार्ट संधि 5 फरवरी 2011 को लागू हुई थी. इस संधि की अवधि 10 साल तक थी. यानी 2010 में शुरू होकर ये संधि साल 2021 में खत्म होने वाली थी. तब इस संधि को पांच साल के लिए और बढ़ाया गया और इसे 2026 तक कर दिया गया . 

परमाणू हथियार के जखीरों को सीमित रखने की थी बात

तब दोनों देशों को संधि के तहत अपने परमाणु हथियारों को सीमित संख्या तक लाने के लिए सात साल का मौका दिया गया था. इसके तहत दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि इस संधि के लागू रहने तक दोनों देश अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को सीमित रखेंगे.  तब से दोनों देश अपनी सीमाओं पर नई स्टार्ट संधि परमाणु हथियारों का सीमित दायरा मेंनटेन कर रहे थे. अमेरिका और रूस संघ बाद में 4 फरवरी, 2026 तक संधि का विस्तार करने पर सहमत हुए. 

डीटेल में समझिए नई स्टार्ट संधि की शर्तें क्या थीं

अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर न्यू स्टार्ट पेज के मुताबिक, 5 फरवरी, 2018 तक रूस और अमेरिका ने इस संधि का पालन किया था. 

न्यू स्टार्ट संधि के तहत दोनों देश 700 स्ट्रैटजिक हथियारों के लॉन्चर्स को तैनात करने पर राजी हुए थे.  इसमें अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBMs), सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBMs), और परमाणु हथियारों से लैस भारी बमवर्षक विमान शामिल थे. 

तैनात किए गए अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु बमवर्षकों पर 1,550 परमाणु वॉरहेड तैनात करने पर सहमति बनी थी.  एक मिसाइल अपने साथ कई परमाणु वॉरहेड ले जा सकती है.  ऐसे में मिसाइलों की संख्या कम और परमाणु वॉरहेड की संख्या ज्यादा हो सकती है. 

कैसे पता चलता है कि दोनों देश संधि का पालन कर रहे हैं या नहीं

स्टेट डिपारटमेंट के मुताबिक दोनों देशों की सीमाओं पर तैनात होने वाले सभी आक्रामक हथियारों की जानकारी और सभी डेटा दोनों देशों के पास होते हैं. संधि में अमेरिका और रूसी निरीक्षण टीमों के लिए हर साल 18 ऑन-साइट निरीक्षण का प्रावधान है. इसमें दो तरह के ऑन साइट निरिक्षण होते हैं. 

1 फरवरी, 2023 तक नई स्टार्ट संधि के लागू होने के बाद से, दोनों पक्षों ने 328 ऑन-साइट निरीक्षण किए हैं, दोनों देशों ने इस समय तक 25,311 अधिसूचनाओं का आदान-प्रदान किया है, द्विपक्षीय सलाहकार आयोग की 19 बैठकें आयोजित की हैं, याद दिला दें कि ये संधि साल 2026 तक चलने वाली थी.

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'निरीक्षण गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने से रूस का इंकार अमेरिका को संधि के तहत महत्वपूर्ण अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोकता है. इसके अलावा अमेरिका-रूस परमाणु हथियार नियंत्रण को भी खतरे में डालता है. 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने अगस्त 2022 में घोषणा की थी कि वह अपने परमाणु हथियारों तक अमेरिकी निरीक्षकों की पहुंच को निलंबित कर रहा है,  नवंबर में, रूस ने द्विपक्षीय आयोग की एक राजनयिक बैठक भी रद्द कर दी थी.  रूस की समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने तब बताया था कि बैठक को स्थगित इसलिए किया गया है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस की प्राथमिकताओं को ध्यान में नहीं रखा है. वे निरीक्षण पर ही ध्यान दे रहे हैं. 

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूस न्यू स्टार्ट का पालन नहीं कर रहा है, इसलिए दोनों देशों के बीच केवल परमाणु हथियार नियंत्रण संधि बची है, इस वजह से दोनों देशों के संबधों पर खराब असर पड़ रहा है. 

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में ये भी कहा था कि , ' रूस निरीक्षण गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने से इंकार कर रहा है . एक तरह से ये अमेरिका को संधि के तहत महत्वपूर्ण अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोकता है . 

पुतिन के एलान का मतलब समझिए 

पुतिन ने न्यू स्टार्ट संधि को संस्पेंड करने की बात कही है , इसका मतलब ये नहीं है रूस संधि से पूरी तरह से पीछे हट रहा है, ये जरूर साफ है कि मास्को नाटो देशों को अपने परमाणु शस्त्रागार का निरीक्षण करने की इजाजात नहीं देगा. पुतिन ने इसका जिम्मेदार अमेरिका को ठहराया है. रूस ने कहा कि अमेरिका रूस पर ड्रोन से हमला करने के लिए यूक्रेन की मदद कर रहा है.   

अग्रेंजी वेबसाइट स्ट्रीप डॉट कॉम के मुताबिक रूस ऐसा करके राष्ट्रपति बाइडन और सहयोगियों पर यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए मास्को से संपर्क करने के लिए दबाव डाल रहा है. 

ये भी सच है कि पुतिन की घोषणा ने पश्चिमी देशों में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर चिंता बढ़ा दी है. ये और भी तनाव भरा साबित हो रहा है क्योंकि पिछले साल यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच पहले से ही तनातनी है. 

पुतिन के एलान के बाद नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने चेतावनी दी कि "पुतिन ने ये एलान करके पूरे हथियार नियंत्रण ढांचे को ध्वस्त कर दिया है," उन्होंने कहा, "मैं रूस को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह देता हूं.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को पुतिन के फैसले को "बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और गैर जिम्मेदाराना" ठहराया है . उन्होंने कहा, 'हम यह बहुत ही गौर से समझ रहे हैं कि रूस हकिकत में चाहता क्या है, हम निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी स्थिति में हम अपने देश और अपने सहयोगी देशों की सुरक्षा और उनकी हिफाजत के लिए हमेशा तैयार रहेंगे. 

न्यू स्टार्ट संधि टूटने से क्या खतरा

न्यू स्टार्ट संधि से रूस के कदम पीछे हटने से रूस और अमेरिका की परमाणु हथियारों को बनाने की लड़ाई फिर से शुरू हो सकती है. पुतिन ने पहले ही एलान किया है कि वो परमाणु हथियारों का विकास फिर से शुरू करेंगे.  बता दें कि दुनिया भर के देशों के मुकाबल रूस के पास पहले से ही सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं.  संधि के टूटने से रूस नए परमाणु हथियार भी बनाएगा, जवाब में अमेरिका भी परमाणु हथियारों के पीछे दौड़ सकता है.  इससे दुनिया में परमाणु हथियारों की रेस फिर से शुरू हो सकती है. 

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