Tactical Nuclear Weapons: रूस-यूक्रेन के बीच संघर्ष रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच रूस लगातार यूक्रेन के खिलाफ टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन (Tactical Nuclear Weapons) के इस्तेमाल की चेतावनी दे रहा है. रूस की ओर से आ रहे बयानों से संकेत मिलता है कि वो किसी भी तरह के हथियार का उपयोग करने से गुरेज नहीं करेगा, चाहे परमाणु  हथियार ही क्यों नहीं हो.


यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को भी अंदेशा है कि पुतिन यूक्रेन पर टैक्टिकल परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं. जेलेंस्की ने ऐसे हालात के लिए दुनिया के बाकी देशों को तैयार रहने की आशंका भी जताई है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने भी ऐसे हथियारों के इस्तेमाल की आशंका जताई है.इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस को टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी भी दी है. बाइडेन ने कहा कि अगर रूस ने यूक्रेन से जारी युद्ध में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल किया, तो उसे इसका बड़ा खामियाजा चुकाना होगा.


टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन


हम सब न्यूक्लियर वेपन यानी परमाणु हथियार से तो परिचित हैं, लेकिन बहुतों के लिए टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन अंजाना शब्द है. इसे समझने के लिए हम न्यूक्लियर वेपन को दो भाग में बांटते हैं. स्ट्रैटेजिक परमाणु हथियार और टैक्टिकल परमाणु हथियार. स्ट्रैटेजिक परमाणु हथियार वैसे परमाणु हथियार हैं जिनसे बडे पैमाने पर नुकसान होता है.जबकि टैक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सीमित दायरे में हमले के लिए किया जाता है.


टैक्टिकल परमाणु हथियारों में छोटे परमाणु वारहेड्स लगे होते हैं. ये छोटे परमाणु हथियार होते हैं, जिनका इस्तेमाल युद्ध में या सीमित हमले के लिए होता है. छोटे से छोटा टैक्टिकल परमाणु हथियार एक किलो या उससे कम वजन का हो सकता है लेकिन इससे हज़ारों टन के पारंपरिक हथियारों के बराबर तबाही हो सकती है. टैक्टिकल परमाणु हथियारों का वजन 100 किलोग्राम तक हो सकता है. स्ट्रैटेजिक परमाणु हथियार बड़े होते है और लंबी दूरी से दागे जाते हैं. इनका वजन एक हजार किलोग्राम तक होता है. 


कोई निश्चित परिभाषा नहीं


रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो टैक्टिकल परमाणु हथियारों की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है. ऐसे हथियारों को उनके आकार, मारक क्षमता और सीमित दायरे के आधार पर पहचाना जाता है. इनका आकार तय नहीं होता है. टैक्टिकल परमाणु हथियारों से चुनिंदा सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जाता है. दरअसल ये रणनीतिक हथियार की श्रेणी में नहीं आते हैं. इसलिए इन्हें गैर रणनीतिक हथियार भी कहा जाता है. रणनीतिक हथियार दुश्मनों के बुनियादी ढांचा को बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल होता है.


वहीं टैक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सीमित दायरे में तात्कालिक सैन्य लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किया जाता है. ऐसे टैक्टिकल परमाणु हथियारों की क्षमता कम होती है और धमाके की वजह से उतनी ऊर्जा नहीं निकलती है, जितनी सामरिक या रणनीतिक परमाणु हथियारों से निकलती है. ये हथियार एक विशेष इलाके में किसी जगह को निशाना बनाते हैं,इससे आसपास के इलाके में नुकसान कम होता है. 


युद्ध को जीतने में मददगार


टैक्टिकल परमाणु हथियार किसी भी देश के लिए युद्ध जीतने में बेहद कारगर भूमिका निभाते हैं. इनका इस्तेमाल मिसाइल के जरिए किया जा सकता है. इन्हें विमान से भी गिराया जा सकता है या टैंक के जरिए भी दागा जा सकता है.  ऐसे परमाणु हथियार छोटे होते हैं. इनकी रेंज भी कम होती है. इनमें कुछ सौ मीटर तक तबाही मचाने की ताकत होती है. इससे बड़े इलाके में विध्वंस नहीं होता. छोटे मिसाइलों या विमानों से इन टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को युद्धक्षेत्र में गिराया जा सकता है. 


कई देशों के पास है टैक्टिकल परमाणु हथियार 


दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो परमाणु ताकत से लैस हैं. उनके पास ज्यादा ताकत और नुकसान वाले स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियार तो हैं ही, साथ ही कम घातक टैक्टिकल परमाणु हथियार भी हैं.  रूस के पास ऐसे टैक्टिकल परमाणु हथियारों की भरमार है. रूस के पास में आरडीएस 4 नाम का टैक्टिकल परमाणु हथियार काफी संख्‍या में है.  टैक्टिकल परमाणु हथियारों के मामले में अमेरिका भई काफी ताकतवर है.


अमेरिका के पास  टैक्टिकल परमाणु हथियारों के तौर पर 100 बी61 बम  है, जिन्हें विमानों के साथ यूरोप में तैनात किया गया है. उत्तर कोरिया भी दक्षिण कोरिया को ध्यान में रखते हुए टैक्टिकल परमाणु हथियारों को बढ़ाने के लिहाज से लगातार मिसाइल परीक्षण करते रहता है.


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