वॉशिंगटन: फर्जी विश्वविद्यालय का इस्तेमाल कर किए गए 'पे टू स्टे' स्टिंग ऑपरेश्न में अभी तक गिरफ्तार किए गए 130 छात्रों पर केवल सिविल आव्रजन आरोपों का सामना करना होगा. टाइम्स नॉउ न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस मामले में 129 छात्रों को गिरफ्तार किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मामले पर इमीग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट (आईसीई) की प्रवक्ता करिसा कुटरैल ने कहा, "हमने सिविल आव्रजन आरोपों पर 130 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है." उन्होंने कहा कि उनमें से अन्य को भी गिरफ्तार किया जा सकता है.

जो विद्यार्थी जानबूझकर इस घोटाले में शामिल हुए और वे जानते थे कि यह वास्तविक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं है, उन्हें अमेरिका छोड़ना भी पड़ सकता है. आईसीई सर्विस के मुताबिक, विद्यार्थियों के नियोक्ताओं के रूप में कथित रूप से घोटाला चलाने वाले आठ लोगों को वीजा धोखाखड़ी और लाभ के लिए दूसरे देशों के लोगों को शरण देने की साजिश रचने के आपराधिक आरोपों और पांच साल की अधिकतम सजा का सामना करना होगा.

इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी रवीश कुमार ने हिरासत में लिए गए भारतीय छात्रों की जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करने की सूचना ट्वीट कर दिया है. संघीय अभियोजकों द्वारा अदालत में दाखिल दस्तावेज में कहा गया है कि करीबन 600 विद्यार्थियों ने फर्जी संस्थान फार्मिगटन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. आव्रजन अधिकारियों ने वीजा धोखाधड़ी के विद्यार्थियों को पकड़ने के लिए यह विश्वविद्यालय बनाया था, जिसके लिए स्टिंग ऑपरेश्न किया गया.

अभियोजकों ने इसे 'पे टू स्टे' घोटाला करार दिया, क्योंकि विद्यार्थियों ने फर्जी विश्वविद्यालय से दस्तावेज पाने के लिए नियोक्ताओं को भुगतान किया, जो उन्हें बिना कक्षा में उपस्थित हुए छात्र वीजा पर यहां रुकने में सक्षम बनाता था. अमेरिकी तेलुगू संघ के कानूनी सहायता कार्यक्रम सेवा के अध्यक्ष शिव कुमार ने बताया कि वे प्रभावित विद्यार्थियों को मदद मुहैया कराने के लिए काम कर रहे हैं. कुमार ने कहा कि उन्होंने भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाकात कर विद्यार्थियों की मदद के लिए कहा है.

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