Trump Tariff: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब दुनिया के 50 से ज्यादा देशों ने अमेरिका से संपर्क किया है ताकि व्यापार को लेकर बातचीत शुरू की जा सके. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सोमवार को व्हाइट हाउस पहुंच रहे हैं, जहां वे इन नए टैरिफ पर चर्चा करेंगे. जापान भी जल्द ही राष्ट्रपति ट्रंप से संपर्क करने वाला है.
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा है कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं और शून्य टैरिफ को आधार बनाकर व्यापार में आने वाली रुकावटों को दूर करेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी वादा किया कि ताइवान की कंपनियां अमेरिका में अपना निवेश बढ़ाएंगी. अमेरिका की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने ट्रंप की टैरिफ नीति का बचाव किया और उसे सही ठहराया.
ट्रंप ने कही ये बात
Air Force One में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट की चिंता नहीं है. अब तक अमेरिकी शेयर बाजार में लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है, लेकिन ट्रंप ने इसे लेकर कोई चिंता नहीं जताई.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "मैं नहीं चाहता कि कोई परेशानी हो, लेकिन कभी-कभी किसी चीज को ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है." ट्रंप ने बताया कि उन्होंने वीकेंड के दौरान यूरोप और एशिया के नेताओं से बात की है. ये नेता कोशिश कर रहे हैं कि ट्रंप इस हफ्ते लागू होने वाले टैरिफ को 50% तक कम कर दें.
ट्रंप ने साफ कहा, "वे अब बातचीत करना चाहते हैं. लेकिन जब तक वे हमें हर साल बहुत सारा पैसा नहीं देते, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी." पिछले हफ्ते ट्रंप की टैरिफ नीति की घोषणा से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं हिल गईं. चीन ने भी जवाब में टैरिफ लगाने का एलान कर दिया, जिससे वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध और मंदी का खतरा बढ़ गया है.
बढ़ रहा है ट्रेड वॉर का खतरा
पिछले हफ्ते ट्रंप की टैरिफ घोषणा ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को हिला कर रख दिया. चीन ने भी जवाब में अपने टैरिफ लगा दिए, जिससे ग्लोबल व्यापार युद्ध और आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई है. अब निवेशकों और राजनेताओं को समझ नहीं आ रहा है कि ट्रंप के टैरिफ लंबे समय तक रहेंगे या ये किसी नई व्यवस्था का हिस्सा हैं या फिर ये सिर्फ दूसरों से रियायतें लेने की एक चाल है.
रविवार सुबह टीवी पर आए टॉक शोज़ में ट्रंप के प्रमुख आर्थिक सलाहकारों ने इन टैरिफ को इस तरह पेश किया जैसे ये अमेरिका को वैश्विक व्यापार में दोबारा मजबूत बनाने की एक सोच-समझकर बनाई गई नीति हो.