अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं की कीमतों को कम करने की अब तक की सबसे बड़ी पहल की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अब अमेरिकी मरीजों को दवाओं के लिए दुनिया में कहीं भी ली जाने वाली सबसे कम कीमत से ज्यादा पैसे नहीं चुकाने होंगे.

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व्हाइट हाउस में आयोजित कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में अब “सबसे पसंदीदा देश मूल्य प्रणाली” लागू की जाएगी. इसका मतलब यह है कि अमेरिका में दवाएं उसी सबसे कम कीमत पर मिलेंगी, जिस कीमत पर वे दुनिया के किसी भी देश में बेची जाती हैं. उन्होंने बताया कि अब तक अमेरिकी लोगों को दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती थी.

दवा कंपनियां मुनाफे का 75% अमेरिका से कमाती हैं: ट्रंप

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इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर, वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक, मेडिकेयर और मेडिकेड सर्विसेज़ एडमिनिस्ट्रेटर मेहमत ओज़ और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कमिश्नर मार्टी मकारी शामिल थे. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की आबादी दुनिया की केवल चार प्रतिशत है, लेकिन दवा कंपनियां अपने मुनाफे का करीब पचहत्तर प्रतिशत अमेरिका से ही कमाती हैं.

उन्होंने बताया कि कई बड़ी दवा कंपनियां अपनी प्रमुख दवाओं की कीमतें कम करने पर सहमत हो गई हैं. कुछ दवाओं के दाम 300 से लेकर 700 प्रतिशत तक घटाने के समझौते हुए हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कंपनियों ने नियम नहीं माने तो उन पर आयात शुल्क लगाया जाएगा. ट्रंप के अनुसार अगले साल से दवाओं की कीमतें तेजी से गिरनी शुरू होंगी.

बचत का फायदा सीधे मरीजों को मिलना चाहिए: डोनाल्ड

ट्रंप ने यह भी कहा कि दवाओं की कीमत कम होने से होने वाली बचत का फायदा सीधे मरीजों को मिलना चाहिए, न कि बीमा कंपनियों को. अमेरिका में दवाओं की ऊंची कीमतें लंबे समय से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रही हैं, खासकर बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए. ट्रंप का कहना है कि अब अमेरिका को भी वही लाभ मिलेगा, जो अब तक दूसरे देशों को मिलता रहा है.

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