पहले इजरायल का ऑपरेशन राइजिंग लॉयन और फिर अमेरिका का ऑपरेशन मिड नाइट हैमर का इकलौता मकसद था ईरान के परमाणु ठिकाने को ध्वस्त करना. उन्हें तबाह और बर्बाद करना. इजरायल ने अपने ऑपरेशन के दौरान ईरान के दो परमाणु ठिकानों नतांज और इस्फहान पर हमला किया और दावा किया कि ईरान के दो परमाणु ठिकाने तबाह हो गए.

बची-खुची कसर अमेरिका ने मिड नाइट हैमर के जरिए पूरी कर दी और ईरान के तीसरे और सबसे बड़े परमाणु ठिकाने फोर्डो पर बंकर बस्टर बम गिराकर कहा कि अब ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गया है. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा कि ईरान अब परमाणु बम नहीं बना सकता है. ट्रंप के इस दावे की पोल उनके ही देश का मीडिया खोल चुका है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन से लीक हुई एक रिपोर्ट के आधार पर अमेरिकी मीडिया ग्रुप सीएनएन ने दावा किया है कि हमला चाहे इजरायल का हो या फिर अमेरिका का, किसी भी हमले में ईरान के किसी भी परमाणु ठिकाने को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि ईरान के तीनों ही परमाणु ठिकाने यानी कि फोर्डो, नतांज और इस्फहान पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उनको जो नुकसान हुआ है, वो बेहद मामूली है और उससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अमेरिका के एक और बड़े मीडिया ग्रुप न्यू यॉर्क टाइम्स ने भी कहा है कि पेंटागन का मानना है कि अमेरिकी हमले में ईरान के यूरेनियम भंडार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. राष्ट्रपति ट्रंप जो दावा कर रहे हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई दशक पीछे चला गया है, वो गलत है. वॉशिंगटन पोस्ट ने भी पेंटागन की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के हवाले से दावा किया है कि अमेरिका का ईरान के परमाणु संयंत्रों पर किया गया हमला नाकाम रहा है.

तीनों ही मीडिया रिपोर्ट्स कह रही हैं कि ईरान ने जो यूरेनियम प्रोसेस कर रखा है, वो पूरी तरह से सुरक्षित है. साथ ही बम बनाने के लिए जिस सेंट्रीफ्यूज की जरूरत होती है, उसे भी अमेरिकी बॉम्बर कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए हैं. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप अब भी अपने दावे पर कायम हैं और अपने ही देश के दो बड़े मीडिया हाउस सीएनएन और न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को फेक न्यूज बता रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्रूथ सोशल पर लिखा है- ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं.

व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लीवीट ने एक बयान में कहा है कि सब जानते हैं कि अगर 30 हजार पाउंड के 14 बम निशाने पर गिराए जाएं तो क्या होता है. भयंकर तबाही. हालांकि, अमेरिका का मीडिया ही अपने राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन के बयान को भाव नहीं दे रहा है. अब सच क्या है और झूठ क्या, ये तो ईरान का अगला कदम ही बताएगा, जो कह रहा है कि हम परमाणु बम बनाना बंद नहीं करेंगे, लेकिन इस पूरे प्रकरण में सिर्फ एक सवाल है, जिसका जवाब मिलना बाकी है कि जीता कौन और हारा कौन, जो जीता वो किस कीमत पर और जो हारा उसने क्या कीमत चुकाई. इस सवाल का जवाब कभी शायद ही मिल पाए.