अमेरिका ने ताइवान के लिए अब तक की सबसे बड़ी हथियार बिक्री को मंजूरी दे दी है. इस पैकेज की कुल कीमत 11.1 अरब डॉलर यानी करीब 93,500 करोड़ रुपए है. ट्रंप प्रशासन ने इस पैकेज की घोषणा की है. यह पैकेज जो चीन की बढ़ती सैन्य धमकियों के बीच ताइवान की रक्षा को मजबूत करने का बड़ा कदम है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह हथियार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के किसी हमले को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. ताइवान को डर है कि चीन 2027 तक हमला कर सकता है.
8 अलग-अलग पैकेज में बंटी डील
यह डील 8 पैकेजों में बंटी हुई है. इसमें 82 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) और 420 आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) हैं. यह वही सिस्टम है जो अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ दिया था. ATACMS की रेंज 300 किलोमीटर तक है, जो लंबी दूरी से निशाना साध सकते हैं.
इस पैकेज में 60 स्वचालित होवित्जर प्रणालियां और उनसे जुड़े उपकरण भी शामिल हैं, जिनकी कीमत भी 4 अरब डॉलर से ज्यादा है. साथ ही ड्रोन की बिक्री लगभग एक अरब डॉलर से ज्यादा की बताई गई है. अन्य सौदों में एक अरब डॉलर से ज्यादा कीमत के सैन्य सॉफ्टवेयर, 70 करोड़ डॉलर से ज्यादा के जैवेलिन और टीओडब्ल्यू मिसाइल, 9.6 करोड़ डॉलर के हेलीकॉप्टर के पुर्जे और हार्पून मिसाइलों के लिए 9.1 करोड़ डॉलर की नवीनीकरण किट शामिल है.
स्पेशल डिफेंस बजट से पैकेज खरीदेगा ताइवान
ताइवान की रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 5 बड़े पैकेज – HIMARS, हॉवित्जर, TOW 2B मिसाइलें, जैवलिन मिसाइलें और एंटी-आर्मर ड्रोन्स – ताइवान के प्रस्तावित 40 अरब डॉलर के स्पेशल डिफेंस बजट से खरीदे जाएंगे. यह बजट अभी संसद में मंजूरी के लिए लंबित है. ताइवान अपनी रक्षा के लिए असममित युद्ध (asymmetric warfare) पर फोकस कर रहा है, जिसमें ये हथियार दुश्मन की बड़ी सेना को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की दूसरी बड़ी ताइवान डील है. पहली नवंबर में 330 मिलियन डॉलर की थी, जिसमें एयरक्राफ्ट पार्ट्स शामिल थे. अमेरिका ताइवान रिलेशंस एक्ट के तहत ताइवान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. एक्सपर्ट रूपर्ट हैमंड-चैंबर्स ने कहा कि HIMARS जैसे हथियार यूक्रेन में रूस के खिलाफ सफल रहे हैं और ताइवान में भी किसी हमले करने वाली चीनी सेना को तबाह कर सकते हैं.
ताइवान को हथियार देने से चीन को मिर्ची
चीन इस डील से बहुत नाराज हो सकता है, क्योंकि वह ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और किसी भी हथियार बिक्री का विरोध करता है. चीन PLA के जरिए ताइवान के आसपास लगातार सैन्य अभ्यास करता रहता है. अभी तक चीन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इससे राजनयिक तनाव बढ़ने की संभावना है.
वहीं, ताइवान अपनी सेना को और मजबूत कर रहा है. राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने डिफेंस खर्च जीडीपी का 3% से बढ़ाकर 5% करने की योजना बनाई है. यह डील ताइवान को मजबूत deterrence (निवारक शक्ति) देगी और क्षेत्रीय सुरक्षा में बड़ा बदलाव ला सकती है.