अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य अमी बेरा ने भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. वे प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की दक्षिण और मध्य एशिया संबंधी उपसमिति की सुनवाई में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने भारत की विदेश नीति, वैश्विक भूमिका, H-1B वीज़ा मुद्दों, रूस के साथ भारत की निकटता और चीन के साथ संतुलित सह-अस्तित्व पर खुलकर अपने विचार रखे.
अमी बेरा ने बताया कि हाल में एक वरिष्ठ सदस्य के पास भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक संयुक्त तस्वीर थी. इस तस्वीर पर कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई, लेकिन बेरा के अनुसार, इस तस्वीर में भारत की दीर्घकालिक रणनीति की झलक दिखाई देती है. उन्होंने कहा कि भारत को अपने भौगोलिक और रणनीतिक माहौल के चलते चीन के साथ कुछ हद तक सह-अस्तित्व में रहना ही होगा, लेकिन उसकी असली प्राथमिकताएं और दीर्घकालिक हित स्पष्ट रूप से पश्चिमी देशों के साथ ही जुड़े हैं. उनके अनुसार, भारत समझता है कि उसकी आर्थिक और तकनीकी प्रगति में अमेरिका की अहम भूमिका है.
H-1B वीज़ा शुल्क पर चिंताअमी बेरा ने अमेरिकी इमिग्रेशन प्रणाली से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि H-1B वीज़ा पर करीब 100,000 डॉलर तक की फीस कंपनियों पर भारी बोझ डालती है और इससे अमेरिकी कंपनियां भी नुकसान उठाती हैं. उनके अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने भी यह बात समझी है कि तकनीकी प्रतिभा को अमेरिका आने से रोकना देश के हित में नहीं है. बेरा ने यह उम्मीद भी जताई कि भविष्य में ऐसा वीज़ा सिस्टम बनाया जा सकेगा, जिससे भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर बिना जटिलताओं के अमेरिका जा सकें और अमेरिकी विशेषज्ञ भारत आ-जा सकें. उन्होंने कहा कि यह वो लोग हैं, जिनसे किसी भी तरह की सुरक्षा चिंता नहीं होती और दोनों देशों के तकनीकी सहयोग के लिए यह आदर्श कदम होगा.
रूस-भारत संबंधों पर अमेरिका की चिंता
अमेरिका में भारत के रूस के साथ करीबी संबंध अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं. अमी बेरा ने इस पर भी अपनी स्पष्ट राय रखी. उन्होंने स्वीकार किया कि अमेरिका के नीति-निर्माताओं को भारत के रूस से निकट संबंधों को लेकर कुछ चिंताएं रहती हैं, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि यह संबंध भारत की ऐतिहासिक और सामरिक परिस्थितियों से उपजे हैं. उन्होंने कहा कि रूस के साथ भारत का संवाद आज भी महत्वपूर्ण है और यही वह विशिष्ट स्थिति है जो भारत को वैश्विक मंच पर एक अनोखी भूमिका देती है. बेरा ने यह भी जोड़ा कि राष्ट्रपति बाइडेन यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए वास्तविक प्रयास कर रहे हैं और भारत इस प्रक्रिया में एक मध्यस्थ या पुल की भूमिका निभा सकता है.
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को मुख्यधारा में लाने की तैयारी
अमी बेरा ने संकेत दिया कि यूक्रेन संघर्ष के समाप्त होने के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों को मिलकर यह सोचना होगा कि रूस को फिर से वैश्विक मुख्यधारा में कैसे शामिल किया जाए. उन्होंने माना कि इस लक्ष्य में भारत की भूमिका बेहद अहम हो सकती है, क्योंकि भारत रूस और पश्चिम दोनों के साथ संवाद बनाए रखता है.
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